धरती से टकराएगा दूसरी दुनिया से आया बर्फीला धूमकेतु! जानें क्या होगा इसका असर

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Interstellar Comet : 19 दिसंबर की तारीख को खगोल विज्ञान के क्षेत्र में बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है. बताया जा रहा है कि इस दिन अंतरतारकीय धूमकेतु 3I/ATLAS धरती के सबसे नजदीकी बिंदु से होकर गुजरेगा. ऐसे में वैज्ञानिकों का कहना है कि Astronomers के लिए यह एक ऐतिहासिक अवसर है, क्योंकि यह अब तक हमारे सौर मंडल में प्रवेश करने वाला अंतरतारकीय पिंड है. बता दें कि इसके पहले केवल दो ऐसे पिंड देखे गए थे, जो किसी अन्य तारामंडल से यात्रा करते हुए हमारे सौर मंडल तक पहुंचे थे.

सबसे महत्‍वपूर्ण बात यह है कि ऐसे पिंड सौर मंडल के बाहर की दुनिया के बारे में सीधी जानकारी देते हैं. बता दें कि 3I/ATLAS का यह सफर वैज्ञानिकों को ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने का एक दुर्लभ मौका प्रदान कर रहा है.

3I/ATLAS क्या है और कैसे हुई इसकी खोज

प्राप्‍त जानकारी के अनुसार 3I/ATLAS एक बर्फीला अंतरतारकीय धूमकेतु है और इसकी खोज कुछ ही समय पहले 1 जुलाई 2025 को की गई थी. बता दें कि इसे चिली में स्थित ATLAS दूरबीन सिस्टम की मदद से देखा गया. वैज्ञानिकों ने इसकी पुष्टि करते हुए इसकी गति और रफ्तार का अध्ययन किया कि यह धूमकेतु हमारे सौर मंडल का हिस्सा नहीं है, बल्कि किसी अन्य तारामंडल से यहां तक पहुंचा है. बता दें कि वे सीधे गुजरते हैं और फिर सौर मंडल से बाहर निकल जाते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि 3I/ATLAS भी कुछ समय के लिए सूर्य के पास आएगा और इसके बाद हमेशा के लिए Interstellar स्पेस में लौट जाएगा.

धरती के करीब से गुजरेगा 3I/ATLAS

बता दें कि 19 दिसंबर को जब 3I/ATLAS धरती के सबसे नजदीक होगा, तब भी यह लगभग 1.8 खगोलीय इकाई की दूरी पर रहेगा. उन्‍होंने ये भी बताया कि यह दूरी लगभग 27 करोड़ किलोमीटर के बराबर है और साथ ही यह धरती और सूर्य के बीच की औसत दूरी से लगभग दोगुनी है. इसका अर्थ है कि धरती को इस धूमकेतु से किसी भी तरह का खतरा नहीं है. जानकारी के मुताबिक, यह पूरी तरह सुरक्षित दूरी से गुजरेगा. यही कारण है कि वैज्ञानिक बिना किसी चिंता के इसके व्यवहार और संरचना का अध्ययन कर पाएंगे.

सूर्य से निकलने वाले कण वैज्ञानिकों के लिए बेहद कीमती

बता दें कि 3I/ATLAS का महत्व इसकी दुर्लभ उत्पत्ति में छिपा है. यह जैसे ही सूर्य के पास पहुंचते ही सूर्य की गर्मी से इसके बर्फीले केंद्र से गैस और धूल निकलने लगती है. बता दें कि इस प्रक्रिया को ऊर्ध्वपातन कहा जाता है. इसी दौरान निकलने वाले कण वैज्ञानिकों के लिए बेहद कीमती होते हैं. इस प्रक्रिया में वैज्ञानिक इन गैसों और धूल का अध्ययन करके यह समझने का प्रयास करेंगे कि अन्य तारामंडलों में किस तरह के रासायनिक तत्व मौजूद होते हैं और वहां ग्रहों का निर्माण कैसे हुआ होगा.

आम लोग 3I/ATLAS को देख पाएंगे

जानकारी के मुताबिक, बिना किसी सूक्ष्‍मदर्शी के इस धूमकेतु को नहीं देख सकते. लेकिन आधुनिक दूरबीनों और अंतरिक्ष वेधशालाओं के जरिए इसका अवलोकन संभव होगा. इसके साथ ही हबल स्पेस टेलीस्कोप और अन्य अंतरिक्ष मिशनों द्वारा ली गई तस्वीरों में इसके चारों ओर चमकीला कोमा और हल्की पूंछ देखी गई है. इतना ही नही बल्कि आम लोगों के लिए भी इसे देखने का मौका है. इससे लोग घर बैठे इस अंतरतारकीय मेहमान को देख सकेंगे.

धूमकेतुओं की संरचना और अलग-अलग तारामंडलों की तुलना

इस दौरान 3I/ATLAS कुछ समय बाद सौर मंडल से बाहर निकल जाएगा और फिर कभी वापस नहीं आएगा. तो समयानुसार इसे समझने के लिए इसलिए वैज्ञानिकों के पास सीमित समय है. इसके साथ ही जुटाया गया डेटा सौर मंडल के विकास, धूमकेतुओं की संरचना और अलग-अलग तारामंडलों की तुलना जैसे अध्ययनों में उपयोगी साबित होगा. बता दें कि 3I/ATLAS को केवल एक खगोलीय घटना नहीं, बल्कि ब्रह्मांड को समझने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है.

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