जीएसटी 2.0 (वस्तु एवं सेवा कर) के अंतर्गत किए गए हालिया सुधारों से यह स्पष्ट हुआ है कि यदि टैक्स प्रणाली को सरल रखा जाए और कर की दरें बहुत अधिक न हों, तो भी सरकार के राजस्व में वृद्धि संभव है. बुधवार को जारी एक रिपोर्ट ने इस बात की पुष्टि की है. थिंक चेंज फोरम की रिपोर्ट के अनुसार, टैक्स दरें बढ़ाने के बजाय करदाताओं की संख्या बढ़ाना सरकार के लिए अधिक लाभकारी साबित होता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पहले यह धारणा थी कि ऊंचे टैक्स से अधिक राजस्व प्राप्त होता है, लेकिन हाल के आंकड़े इस सोच को गलत साबित करते हैं.
अक्टूबर 2025 में जीएसटी संग्रह ₹1.95 लाख करोड़ पहुंचा
अक्टूबर 2025 में जीएसटी संग्रह 1.95 लाख करोड़ रुपए तक बढ़ गया, जो पिछले साल की तुलना में 4.5% ज्यादा है. यह दिखाता है कि लोग अब ज्यादा ईमानदारी से टैक्स दे रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, जब अर्थव्यवस्था में बहुत सारे छोटे और अनौपचारिक व्यवसाय हैं, तो टैक्स देने की आदत टैक्स रेट से ज्यादा मायने रखती है. हालांकि, भारत का टैक्स-से-जीडीपी अनुपात लगभग 17% है, लेकिन प्रत्यक्ष करों का दायरा बहुत छोटा है और देश ज्यादा अप्रत्यक्ष करों पर निर्भर है.
ऊंची टैक्स दरें बढ़ाती हैं टैक्स चोरी
रिपोर्ट में कहा गया है कि जब टैक्स की दरें बहुत अधिक होती हैं, तो लोग टैक्स चोरी की ओर प्रवृत्त होने लगते हैं. इसके विपरीत, यदि टैक्स को उचित और कम रखा जाए, तो अधिक लोग स्वेच्छा से टैक्स चुकाने को तैयार रहते हैं. जीएसटी से होने वाली आय में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण यह भी है कि धीरे-धीरे ज्यादा कारोबार औपचारिक व्यवस्था में शामिल हो रहे हैं. रिपोर्ट के अनुसार, 40% जैसी अत्यधिक जीएसटी दरें नहीं होनी चाहिए और टैक्स स्लैब को सीमित रखते हुए केवल 5 प्रतिशत और 18% तक ही रखा जाना बेहतर होगा.
थिंक चेंज फोरम की सरकार को सलाह: टैक्स दरें न बढ़ें
थिंक चेंज फोरम ने सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि बजट में टैक्स की उच्चतम दर को और न बढ़ाया जाए. साथ ही, डिजिटल और तकनीकी साधनों के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों को टैक्स नेटवर्क से जोड़ा जाए. एमआरपी आधारित टैक्स प्रणाली से बचने और जीएसटी की पूरी प्रक्रिया को और सरल बनाने पर भी जोर दिया गया है. इसके अलावा, रिपोर्ट में पेट्रोलियम, बिजली और अन्य गैर-प्रतिबंधित वस्तुओं को चरणबद्ध तरीके से जीएसटी के दायरे में लाने की सिफारिश की गई है, जिससे उद्योगों की लागत घटे और कर व्यवस्था अधिक निष्पक्ष बन सके. साथ ही, काले धन, तस्करी और टैक्स चोरी पर प्रभावी रोक लगाने के लिए सरकार को कड़े कदम उठाने की आवश्यकता बताई गई है.
रिपोर्ट के अनुसार, बजट में तस्करी, अवैध व्यापार और टैक्स चोरी के खिलाफ सख्त कदम उठाए जाएं, ताकि ईमानदारी से टैक्स देने वालों को नुकसान न हो और सभी लोग नियमों का पालन करें.

