New Delhi: अफ्रीका के मोजाम्बिक देश में इस्लामिक स्टेट, IS के आतंकवाद की डर से अब तक 3 लाख से ज्यादा लोग अपने घर छोड़कर भाग चुके हैं. कई लोग तो दो-तीन या चार बार भी विस्थापित हुए हैं. यूक्रेन, गाजा और सूडान जैसी बड़ी घटनाओं के कारण दुनिया का ध्यान वहां कम गया है और विदेशी मदद भी घट गई है. ह्यूमन राइट्स वॉच की शोधकर्ता शीला नहानकले के अनुसार विस्थापित लोगों में यौन हिंसा, शोषण और बच्चों के खिलाफ अत्याचार का खतरा बढ़ गया है.
पूरी तरह बदल दी लोगों की जिंदगी
इस्लामिक स्टेट IS के आतंकवाद ने लोगों की जिंदगी पूरी तरह बदल दी है. मोजाम्बिक की सेना और रवांडा की फोर्सेज अब तक इस हिंसा को रोकने में सफल नहीं हो पाईं. अक्टूबर 2017 में काबो डेलगाडो प्रांत में IS ने हमला शुरू किया था. मार्च 2021 में पाल्मा शहर पर हमला हुआ, जिसमें 600 से ज्यादा लोग मारे गए. रवांडा ने जुलाई 2021 में 1,000 सैनिक तैनात किए और थोड़ी सफलता मिली. अब वहां लगभग 4,000-5,000 सैनिक हैं लेकिन नागरिकों के खिलाफ हिंसा कम नहीं हुई.
अब तक 302 हमलों में 549 लोग मारे गए
नवंबर में अकेले 1 लाख लोग विस्थापित हुए क्योंकि आतंकियों ने नामपुला प्रांत में सबसे बड़ा हमला किया. इस साल अब तक 302 हमलों में 549 लोग मारे गए, जिनमें 290 आम नागरिक हैं. यह पिछले साल की तुलना में 56% ज्यादा है. 2017 से अब तक करीब 2,800 नागरिक मारे गए हैं, जिनमें 80% IS और 9% मोजाम्बिक सेना के हाथों. शोधकर्ता टोमस क्युफेस के अनुसार आतंकवादी बहुत हिम्मती हैं और रवांडा व मोजाम्बिक फोर्सेज़ पहले जितनी प्रभावी नहीं हैं.
सेना आगे बढ़े और रवांडा पीछे रहे
सरकार चाहती है कि मोजाम्बिक सेना आगे बढ़े और रवांडा पीछे रहे. मेडीसिन्स सैंस फ्रोंटियर्स के प्रमुख सेबस्टियन ट्राफिकांटे कहते हैं कि विस्थापित लोग बहुत खराब परिस्थितियों में हैं. लोग बस शांतिपूर्ण जीवन चाहते हैं, अपने खेतों में काम करना चाहते हैं और अपने घर लौटना चाहते हैं.
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