Navratri Mein Jau Kaise Boye: नवरात्रि का त्यौहार हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है और इस दौरान जौ या जवारे बोने की परंपरा भी प्राचीन समय से चली आ रही है. नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना के साथ जौ बोने का रिवाज है, जो घर में सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति का प्रतीक माना जाता है. कहा जाता है कि जितना हरा-भरा जौ उगता है, उतनी ही संपत्ति और समृद्धि घर में आती है. इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि जौ सही तरीके से बोए जाएं, ताकि उनका अच्छा परिणाम मिले. यहां हम आपको बताएंगे नवरात्रि में जौ बोने का सही तरीका और नियम.
नवरात्रि में जौ बोने का सही तरीका (Navratri Mein Jau Kaise Boye)
-
सामग्री का चयन
सबसे पहले, आपको साफ मिट्टी, जौ के बीज, चौकोर या गोल पात्र, गंगाजल और शुद्ध पानी की जरूरत होगी. अच्छे और ताजे जौ के दाने लें, ताकि उनका अंकुरण अच्छी तरह से हो सके. -
बीज को भिगोना
जौ के बीज को रातभर पानी में भिगोकर रखें. अगर आप रात में इसे भिगोने से चूक गए हैं, तो आप सुबह भोर में भी इसे बो सकते हैं. -
पूजा स्थल की सफाई
नवरात्रि के पहले दिन सबसे पहले अपने पूजा स्थल को साफ करें और फिर विधिपूर्वक कलश स्थापना करें. यह पूरे नवरात्रि के दौरान शांति और समृद्धि की प्राप्ति के लिए जरूरी है. -
साफ मिट्टी में जौ बोना
अब एक पात्र में साफ मिट्टी डालें और उसे हल्का-सा दबा लें. फिर इस मिट्टी में जौ के दानों को समान रूप से छिड़कें. इसके बाद, हल्की मिट्टी जौ के ऊपर डाल दें, ताकि जौ सुरक्षित रहें. -
पानी और गंगाजल छिड़कना
जौ बोने के बाद, गंगाजल या शुद्ध पानी छिड़कें ताकि जौ अच्छे से अंकुरित हो सकें. नवरात्रि के हर दिन जौ में थोड़ा-थोड़ा पानी छिड़कते रहें. ध्यान रखें कि जौ में अत्यधिक पानी न डालें, क्योंकि इससे अंकुरण में समस्या हो सकती है. -
उगने का समय
इस विधि से बोए गए जौ नवमी या दशमी तक अच्छे से उग जाएंगे और आपको हरे-भरे जवारे मिलेंगे. -
विसर्जन
नवरात्रि समाप्त होने के बाद, उगे हुए जौ को नदी या तालाब में विसर्जित कर दें. आप चाहें तो इन्हें पीपल या बरगद के पेड़ के नीचे भी रख सकते हैं, क्योंकि यह पेड़ भी धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माने जाते हैं.
Disclaimer:
यह जानकारी धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित है. इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. The Printlines इस जानकारी की सत्यता की पुष्टि नहीं करता है.
यह भी पढ़े: Navratri 2025: नवरात्रि में माता रानी को कौन से फल नहीं चढ़ाने चाहिए? जानें भोग से संबंधित जरूरी नियम