संसद में हाल ही में साझा की गई जानकारी के अनुसार, भारत में पिछले 11 वर्षों में इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माण क्षेत्र में छह गुना वृद्धि हुई है. 2014-15 में यह 1.9 लाख करोड़ रुपए थी, जो बढ़कर 2024-25 में 11.32 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गई. यह सफलता भारत को वैश्विक स्तर पर एक महत्वपूर्ण इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माता के रूप में स्थापित करने में अहम योगदान देती है. केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी और सूचना प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री जितिन प्रसाद ने राज्यसभा में बताया कि भारत सरकार की इलेक्ट्रॉनिक्स और सेमीकंडक्टर पॉलिसी पीएम मोदी के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया के विजन पर आधारित है.
उनके द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, 2020 में शुरू हुई लार्ज स्केल इलेक्ट्रॉनिक्स के लिए पीएलआई स्कीम ने 14,065 करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया है. मोबाइल निर्माण के बारे में उन्होंने बताया कि पिछले 11 वर्षों में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग यूनिट्स की संख्या 2 से बढ़कर 300 से अधिक हो गई है. इसके अलावा, LSME के लिए PLI योजना के शुभारंभ के बाद, मोबाइल निर्माण का मूल्य 2020-21 में 2.2 लाख करोड़ रुपए से बढ़कर 5.5 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है.
देश के इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात में भी जबरदस्त वृद्धि दर्ज की गई है. केंद्रीय राज्य मंत्री ने बताया कि 2014-15 में 38 हजार करोड़ रुपए का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात बढ़कर 2024-25 में आठ गुना होकर 3.26 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच गया है. मोबाइल निर्यात भी लगभग 22 हजार करोड़ रुपए से बढ़कर 2.2 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गया है. इसी के साथ, इलेक्ट्रॉनिक्स अब देश की तीसरी सबसे बड़ी एक्सपोर्ट कैटेगरी बन गई है.
उद्योग का अनुमान है कि इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर अब लगभग 25 लाख लोगों को रोजगार प्रदान करता है. केंद्रीय राज्य मंत्री जितिन प्रसाद के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग की सफलता के आधार पर सरकार ने 2022 में सेमीकंडक्टर के विकास के लिए कार्यक्रम शुरू किया. सरकार ने सेमीकंडक्टर के पूरे इकोसिस्टम के विकास पर विशेष ध्यान केंद्रित किया है. इसके तहत, पिछले तीन वर्ष से भी कम समय में 1.6 लाख करोड़ रुपए के संचयी निवेश के साथ दस सेमीकंडक्टर यूनिट्स को मंजूरी दी गई है.