कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने दीवाली से ठीक पहले लाखों अंशधारकों को बड़ी राहत दी है. सोमवार को आयोजित केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की 238वीं बैठक में यह निर्णय लिया गया कि अब कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) खाते में जमा पूर्ण ‘पात्र राशि’ जिसमें कर्मचारी और नियोक्ता दोनों का अंशदान शामिल है को पूरी तरह से निकाला जा सकेगा. इस नए फैसले से सात करोड़ से अधिक ईपीएफ सदस्य लाभान्वित होंगे.
अब तक ईपीएफ की पूरी निकासी केवल सेवानिवृत्ति या बेरोजगारी की स्थिति में संभव थी. पुराने नियमों के अनुसार, किसी सदस्य को बेरोजगार होने के एक माह बाद पीएफ का 75% और दो माह बाद शेष 25% निकालने की अनुमति थी. सेवानिवृत्ति की स्थिति में ही 100% निकासी की छूट थी। इस नए संशोधन के बाद अंशधारकों को पूरी राशि तक पहुंच की अनुमति होगी.
सीबीटी ने अपनी बैठक के दौरान लिए कई महत्वपूर्ण निर्णय
श्रम मंत्री मनसुख मंडाविया की अध्यक्षता वाले सीबीटी ने अपनी बैठक के दौरान कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए. भूमि खरीद, नए घर की खरीद या निर्माण या ईएमआई भुगतान के लिए आंशिक निकासी के मामले में, ईपीएफ सदस्यों को अपने ईपीएफ खाते में जमा राशि का 90 प्रतिशत तक निकालने की अनुमति थी. उल्लेखनीय है कि ईपीएफ सदस्यों के जीवन को सुगम बनाने के लिए, सीबीटी ने ईपीएफ योजना के आंशिक निकासी प्रावधानों को सरल बनाने का निर्णय लिया है.
इसके लिए 13 जटिल प्रावधानों को एक एकल, सुव्यवस्थित नियम में समाहित किया गया है, जिसे तीन प्रकारों में वर्गीकृत किया गया है: आवश्यक आवश्यकताएं (बीमारी, शिक्षा, विवाह), आवास आवश्यकताएं और विशेष परिस्थितियां.
“ईपीएफओ ने निकासी की सीमा में ढील देते हुए अब शिक्षा के लिए 10 बार और विवाह के लिए 5 बार तक आंशिक निकासी की अनुमति दी है, जो पहले विवाह और शिक्षा दोनों मिलाकर केवल 3 बार तक सीमित थी. साथ ही, अब सभी प्रकार की आंशिक निकासी के लिए न्यूनतम सेवा अवधि को घटाकर केवल 12 महीने कर दिया गया है.”
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