चालू वित्त वर्ष में निजी डिफेंस कंपनियों की आय में 16-18% की वृद्धि देखने को मिल सकती है, जो कि सरकार की नीतियों और बड़े पैमाने पर निजी निवेश के कारण संभव हुई है. क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक, FY22 से 2025 के दौरान इस सेक्टर ने 20% CAGR दर्ज किया है. सरकार द्वारा उठाए गए नीतिगत कदमों ने घरेलू डिफेंस उत्पादन को प्रोत्साहित किया है, जिससे निजी कंपनियों में निवेश तेजी से बढ़ा है. यह पहल देश के रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने में अहम भूमिका निभा रही है.
निवेश ने कंपनियों की क्षमताओं को किया मजबूत
अनुसंधान एवं विकास और पूंजीगत व्यय में निवेश ने कंपनियों की क्षमताओं को मजबूत किया है, जिससे उन्हें बड़े ऑर्डर हासिल करने में मदद मिली है. परिचालन मार्जिन 18-19% के दायरे में रहने के साथ मुनाफा स्थिर रहा है. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि पिछले तीन वित्तीय वर्षों में इक्विटी निवेश से कार्यशील पूंजी ऋण और पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) योजनाओं में वृद्धि के बावजूद, बैलेंस शीट स्वस्थ बनी हुई है. यह विश्लेषण क्रिसिल रेटिंग्स द्वारा रेटिंग प्राप्त 25 से अधिक निजी रक्षा कंपनियों के आंकड़ों पर आधारित है, जो मिलकर उद्योग के राजस्व में लगभग आधे का योगदान करती हैं.
डिफेंस इंडस्ट्री में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का दबदबा
रिपोर्ट के अनुसार, भारत की डिफेंस इंडस्ट्री में सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का दबदबा तो है, लेकिन निजी कंपनियों का राजस्व हिस्सा लगातार बढ़ रहा है. उन्हें घरेलू खरीद और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा देने के लिए सरकार से मजबूत प्रोत्साहन मिल रहा है. यह प्रोत्साहन भू-राजनीतिक अनिश्चितताओं के बीच बढ़ते सैन्य खर्च और उच्च पूंजीगत व्यय से स्पष्ट होता है. इसके परिणामस्वरूप, निजी डिफेंस कंपनियों ने आरंभिक सार्वजनिक निर्गम (IPO) और निजी इक्विटी निवेश के माध्यम से पूंजी प्रवाह आकर्षित किया है. इस वित्तीय वर्ष के अंत तक इन कंपनियों की कुल ऑर्डर बुक लगभग 55,000 करोड़ रुपए तक पहुंचने का अनुमान है, जो पिछले वित्त वर्ष के 40,000 करोड़ रुपए से काफी अधिक है.
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