भारत के Banking Sector में FY26 की तीसरी तिमाही में एक बार फिर से देखने को मिलेगा सुधार: Report

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
मार्जिन में कमी और लोन यील्ड में गिरावट के कारण चुनौतीपूर्ण पहली छमाही के बाद भारत के बैंकिंग सेक्टर में FY26 की तीसरी तिमाही में एक बार फिर से सुधार देखने को मिलेगा. गुरुवार को जारी की गई एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. मोतीलाल ओसवाल इंस्टीट्यूशनल इक्विटीज (Motilal Oswal Institutional Equities) ने एक रिपोर्ट में कहा है कि निजी और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक एक बदलाव के चरण में प्रवेश कर रहे हैं, जहां जमा पुनर्मूल्यन, प्रणालीगत तरलता प्रवाह और परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार आय में वृद्धि करने लगे हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक, यह सुधार धीरे-धीरे हो रहा है और इससे FY27 में दोहरे अंकों की आय वृद्धि की दिशा तय होगी. रिपोर्ट में बताया गया कि अधिकांश बैंकों ने विभिन्न अवधियों के बचत खाते और सावधि जमा की दरों में 20-100 आधार अंकों की कटौती की है, जिसका FY26 की दूसरी छमाही में और गहरा प्रभाव पड़ने की उम्मीद है. रिपोर्ट में कहा गया कि रेपो दर में कटौती के बाद और आगे तरलता समर्थन के साथ, शुद्ध ब्याज मार्जिन (NIM) के स्थिर होने और तीसरी तिमाही से आय में वृद्धि होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट के मुताबिक, विशेष रूप से खुदरा असुरक्षित और सूक्ष्म वित्त संस्थान (MFI) पोर्टफोलियो में परिसंपत्ति गुणवत्ता का दबाव कम हो रहा है, जिससे प्रोविजन राइट-बैक की जगह बन रही है. सभी क्षेत्रों में चालू खाता बचत खाता (CASA) अनुपात में गिरावट के बावजूद मजबूत लायबिलिटी प्रोफाइल वाले बैंक मार्जिन दबावों से निपटने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.
रिपोर्ट में अनुमान लगाया गया है कि निजी बैंकों का कुल प्रावधान-पूर्व परिचालन लाभ (PPOP) FY26 की पहली तिमाही के 698 अरब रुपए से बढ़कर FY26 की चौथी तिमाही में 831 अरब रुपए हो जाएगा, जो आय में व्यापक सुधार के कारण होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि FY27 में बैंकिंग क्षेत्र में जोरदार उछाल आएगा. रिपोर्ट के अनुसार, मार्जिन में सुधार और कम ऋण लागत के कारण, निजी बैंकों की आय वृद्धि वित्त वर्ष 2026 के 6.9% से बढ़कर वित्त वर्ष 2027 में 21.7% होने की उम्मीद है.

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