भारत में इस साल खरीफ फसलों के उत्पादन में ऐतिहासिक बढ़त देखने को मिल सकती है, जिससे कुल खाद्यान्न उत्पादन 3.87 मिलियन टन बढ़कर 173.33 मिलियन टन तक पहुँचने का अनुमान है. यह जानकारी सरकार ने बुधवार को साझा की. केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के अनुसार, खरीफ फसलों के प्रारंभिक आंकड़ों के मुताबिक इस सीजन में चावल और मक्का के उत्पादन में खासा सुधार होने की संभावना है. अनुमान है कि चावल का उत्पादन पिछले साल की तुलना में 1.73 मिलियन टन बढ़कर 124.5 मिलियन टन तक पहुँच जाएगा.
अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ इलाकों में फसलें हुई प्रभावित
मक्का का उत्पादन सालाना आधार पर 3.4 मिलियन टन बढ़कर 28.3 मिलियन टन पहुंचने की उम्मीद है. इस खरीफ सीजन में मोटे अनाज का उत्पादन 41.4 मिलियन टन और दालों का उत्पादन 7.4 मिलियन टन होने का अनुमान है, जिसमें तूर (अरहर) का योगदान 3.59 मिलियन टन, उड़द का योगदान 1.2 मिलियन टन और मूंग का योगदान 1.72 मिलियन टन है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अत्यधिक वर्षा के कारण कुछ इलाकों में फसलें प्रभावित हुई हैं, लेकिन अच्छे मानसून का ज्यादातर इलाकों पर सकारात्मक असर हुआ है.
तिलहन का उत्पादन 27.56 मिलियन टन
इस खरीफ सीजन में तिलहन का उत्पादन 27.56 मिलियन टन और सोयाबीन का उत्पादन 14.26 मिलियन टन रहने की संभावना है. मूंगफली का उत्पादन 11 मिलियन टन अनुमानित है, जो पिछले साल से 0.68 मिलियन टन अधिक है. गन्ने का उत्पादन 475.6 मिलियन टन होने का अनुमान है, जो पिछले साल की तुलना में 21 मिलियन टन अधिक है. कॉटन का उत्पादन लगभग 29.2 मिलियन बेल (प्रत्येक बेल का वजन 170 किलोग्राम) रहने का अनुमान है, जबकि जूट और मेस्टा का उत्पादन लगभग 8.3 मिलियन बेल होने की संभावना है. सरकार ने बताया कि ये अनुमान पिछले सालों के यील्ड ट्रेंड, ग्राउंड-लेवल इनपुट, क्षेत्रीय अवलोकन और राज्यों से प्राप्त डेटा पर आधारित हैं.

