भारत के MSME निर्यात में बड़ी छलांग, 2025-26 में ₹9.52 लाख करोड़ पार

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) ने चालू FY25-26 के दौरान अप्रैल से सितंबर के बीच 9.52 लाख करोड़ रुपये से अधिक का निर्यात किया है. यह जानकारी गुरुवार को संसद में साझा की गई. इससे साफ होता है कि देश के छोटे और मध्यम उद्योग भारतीय अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं. एमएसएमई राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे ने लोकसभा में बताया कि यह निर्यात से जुड़ा डेटा डायरेक्टरेट जनरल ऑफ कमर्शियल इंटेलिजेंस एंड स्टैटिस्टिक्स (डीजीसीआई एंड एस) के पोर्टल से लिया गया है, जिसमें MSME से संबंधित उत्पादों के आंकड़े शामिल हैं.

FY25-26 में MSME निर्यात 9.52 लाख करोड़ रुपये पार

उन्होंने कहा कि इस दौरान भारत का निर्यात खासकर इलेक्ट्रॉनिक सामान, दवाइयों (फार्मा) और इंजीनियरिंग उत्पादों में अच्छा रहा है. इन क्षेत्रों में एमएसएमई का योगदान काफी ज्यादा है और यही कारण है कि निर्यात में तेजी देखने को मिली. मंत्री ने कहा कि डीजीसीआई-एंड-एस पोर्टल के आंकड़ों के अनुसार, FY25-26 (सितंबर तक) के दौरान एमएसएमई उत्पादों से संबंधित निर्यात का कुल मूल्य 9,52,023.35 करोड़ रुपए है. एमएसएमई के निर्यात को और मजबूत बनाने के लिए सरकार ने एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन (ईएमपी) शुरू किया है.

MSME निर्यात को मजबूत करने के लिए सरकार का एक्सपोर्ट प्रमोशन मिशन

इस मिशन का मकसद निर्यात से जुड़ी पूरी प्रणाली को मजबूत और अधिक प्रभावी बनाना है. इसके तहत एमएसएमई को कई तरह की सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. उन्होंने बताया कि सरकार निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं के माध्यम से एमएसएमई को वित्तीय सहयोग दे रही है, ताकि उन्हें कारोबार के लिए आसानी से पूंजी मिल सके. इसके अलावा, निर्यात दिशा पहल के तहत एमएसएमई को गुणवत्ता मानकों का पालन करने, सरकारी नियमों की जानकारी हासिल करने, नए बाजारों की पहचान करने और उत्पादों की शिपिंग में भी मदद दी जा रही है.

कम GST दरों की वजह से कच्चा माल और सेवाएं हुई सस्ती

उन्होंने बताया कि कम जीएसटी दरों की वजह से कच्चा माल और सेवाएं सस्ती हुई हैं. इससे छोटे उद्योगों और स्टार्टअप्स को अपना काम बढ़ाने, नई चीजों पर निवेश करने और वैश्विक स्तर पर मुकाबला करने में मदद मिली है. इन सरकारी पहलों के चलते ऑटोमोबाइल, टेक्सटाइल, फूड प्रोसेसिंग, लॉजिस्टिक्स और हस्तशिल्प जैसे क्षेत्रों में स्थानीय आपूर्ति व्यवस्था को मजबूती मिली है. इससे छोटे उद्यमियों और स्टार्टअप्स को विस्तार का अवसर मिला है और वे वैश्विक बाजार में भारत की मौजूदगी को और मजबूत कर पा रहे हैं.

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