प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को 7,280 करोड़ रुपए के बजट के साथ सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट के उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली योजना को मंजूरी दी. इस योजना का लक्ष्य देश में प्रति वर्ष 6,000 मीट्रिक टन एकीकृत रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट (आरईपीएम) निर्माण क्षमता स्थापित करना है. इससे देश की आत्मनिर्भरता मजबूत होगी और भारत वैश्विक आरईपीएम बाजार में एक प्रमुख विनिर्माण केंद्र के रूप में उभर सकेगा.
सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट सबसे शक्तिशाली स्थायी चुंबक होते हैं जो नियोडिमियम और सैमरियम जैसी दुर्लभ-पृथ्वी तत्वों के मिश्रधातुओं से बनाए जाते हैं. सिंटरिंग एक निर्माण प्रक्रिया है जिसमें पाउडर को गर्म कंप्रेस्ड किया जाता है जिससे ठोस चुंबक को बनाया जा सके. इसमें दुर्लभ मृदा ऑक्साइड को धातुओं में, धातुओं को मिश्र धातुओं में और मिश्र धातुओं को आरईपीएम में परिवर्तित करना शामिल है. सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, इलेक्ट्रॉनिक्स, एयरोस्पेस और रक्षा अनुप्रयोगों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं.
सरकार ने अपने बयान में बताया कि इलेक्ट्रिक वाहनों, नवीकरणीय ऊर्जा, औद्योगिक उपयोगों और उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स की तेज बढ़त को देखते हुए 2025 से 2030 के बीच भारत में आरईपीएम की खपत दोगुनी हो सकती है. वर्तमान में देश की अधिकांश आरईपीएम आवश्यकता आयात पर निर्भर है. सिंटर्ड रेयर अर्थ परमानेंट मैग्नेट मैन्युफैक्चरिंग योजना का कुल बजट 7,280 करोड़ रुपए निर्धारित किया गया है, जिसमें अगले पांच वर्षों तक आरईपीएम बिक्री पर 6,450 करोड़ रुपए का प्रोत्साहन और प्रति वर्ष 6,000 मीट्रिक टन क्षमता वाली यूनिटें स्थापित करने हेतु 750 करोड़ रुपए की पूंजीगत सहायता शामिल है.
सरकार के मुताबिक, इस योजना के तहत वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया द्वारा पांच सफल आवेदकों को कुल क्षमता आवंटित करने का लक्ष्य है. प्रत्येक सफल बोली लगाने वाले को प्रति वर्ष 1,200 मीट्रिक टन मैन्युफैक्चरिंग क्षमता आवंटित की जाएगी. योजना की कुल अवधि कार्य आवंटन की तिथि से 7 वर्ष होगी. इसमें एकीकृत आरईपीएम विनिर्माण इकाइयों की स्थापना के लिए 2 वर्ष का समय और आरईपीएम बिक्री पर प्रोत्साहन राशि के वितरण हेतु अतिरिक्त 5 वर्ष शामिल किए गए हैं.