Mahalaxmi Temple: इस मंदिर में प्रसाद के रूप में मिलता है सोना-चांदी और नोटों की गड्डियां, जानिए मान्यता

Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Mahalaxmi Temple Ratlam: चारों तरफ दिवाली के पर्व की धूम है. ऑफिस, घर से लेकर मंदिर तक सफाई करके आकर्षक रूप से सजाया गया है. आमतौर पर दिवाली के दिन पूजा करते वक्त मां लक्ष्मी को मिठाई चढ़ाई जाती है, लेकिन आज हम आपको एक ऐसे मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जहां दीपावली के दिन भक्तों द्वारा सोने-चांदी और नोटों की गड्डियां चढ़ाई जाती है. यही नहीं इसके बाद सोने-चांदी और नोटों की गड्डियों को प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं. मध्य प्रदेश राज्य के रतलाम शहर में स्थित महालक्ष्मी मंदिर की. यहां 5 दिनों तक चलने वाले दीपोत्सव के महापर्व पर नोटों की गड्डियों, हीरे-मोती और सोने-चांदी से मां महालक्ष्मी का दरबार सजाया जाता है. 5 दिनों तक यहां बड़ी संख्या में भक्त दर्शन के लिए आते हैं. इस दौरान यह मंदिर कुबेर के खजाने सा दिखाई देता है. भक्त जहां बड़ी मात्रा में सोने-चांदी के जेवर और नोटों की गड्डियां चढ़ाते हैं, जिसे बाद में पंडितों द्वारा भक्तों को वापस कर दिया जाता है.

बता दें कि रतलाम का प्राचीन महालक्ष्मी मंदिर हर साल की तरह इस साल भी कुबेर के खजाने में तब्दील हो चुका है. यहां बड़े बिजनेस मैन से लेकर छोटे व्यापारी तक और आम भक्तगण सोना चांदी व नोटों की गड्डियां व कीमती सामान लाकर मां को अर्पित कर रहे हैं. भक्तों द्वारा लाई गए इन कीमती सामानों को रजिस्टर में नाम, पते, आईडी प्रूफ और फोटो के साथ एंट्री की जा रही है ताकि बाद में उन्हें सुरक्षित तरीके से वापस लौटाई जा सके. वहीं, बात करें मंदिर के सुरक्षा की तो यहां सुरक्षा की दृष्टि से यहां सीसीटीवी केमरे व सशस्त्र पुलिस जवानों को तैनात किया गया है.

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जानिए क्या है मान्यता
मंदिर के पुजारी कि मानें तो इस प्राचीन मंदिर में सालो सेआस्था की यह परंपरा चली आ रही है. ऐसी मान्यता है कि यहां सोने-चांदी के जेवर समेत अपना कीमती सामान रखने से महालक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और धन में वृद्धि होती है. बताते चलें कि भक्तों द्वारा मंदिर में अर्पित किए गए कीमती सामानों को पुनः प्रसाद के रूप में वापस कर दिया जाता है. जिसे भक्त प्रसाद के रूप में अपने घर ले जाकर रखते हैं.

(Disclaimer: इस लेख में दी गई स्थानीय मान्यताओं और ज्योतिष गणनाओं पर आधारित है. The Printlines इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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