Lok Sabha Election: चुनाव से दूरी कौन सी मजबूरी…? आखिर कहां गायब हो गई कथावाचकोें की मंडली!

Shubham Tiwari
Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shubham Tiwari
Shubham Tiwari
Sub Editor The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lok Sabha Election 2024 Without Kathavachak: देश में इन दिनों लोकसभा का चुनाव चल रहा है. इससे पहले साल 2023 के आखिरी में पांच राज्यों मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, मिजोरम और तेलंगाना में विधानसभा चुनाव संपन्न हुए हैं. विधानसभा चुनाव के दौरान कथावाचकों और बाबाओं ने जमकर हिंदुत्व की आवाज उठाई थी. उस दौरान हर राजनीतिक दल के नेता किसी ना किसी बाबा या कथावाचकों के पास आशीर्वाद लेने पहुंच रहे थे. लेकिन लोकसभा चुनाव के वक्त सभी कथावाचक शांत नजर आ रहे हैं. आखिर क्या है पूरा माजरा आइए जानते हैं.

दरअसल, हम बात कर रहे हैं उन बाबाओं, कथावाचकों की जिन्होंने हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान जमकर हिंदुत्व और हिंदू राष्ट्र की आवाज उठाई थी. उस दौरान राजनीतिक दल के बड़े-बड़े दिग्गज नेताओं इन कथावाचकों की कथाएं अपने-अपने क्षेत्र में कराई थी. लेकिन आम चुनाव के वक्त यह नजारा उल्टा दिखाई दे रहा है. दिग्गज नेता तो छोड़िए, इस आम चुनाव में तो उम्मीदवार भी माथा टेकने नहीं पहुंचे.

विधानसभा चुनाव में सक्रिय नजर आएं थे ये कथावाचक

गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2023 के दौरान मध्य प्रदेश में भाजपा के साथ साथ कांग्रेस के नेताओं ने जगह-जगह भागवत कथा और भंडारे का आयोजन कराया था. इस दौरान देश के मशहूर कथावाचक प्रदीप मिश्रा, जया किशोरी, बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री, अवधेशानंद गिरी, देवकीनंदन ठाकुर, पंडोखर सरकार, रावतपुरा सरकार समेत कई धार्मिक संत राजनीति में सक्रिय नजर आएं. लेकिन लोकसभा चुनाव में इन संतों की हवा फीकी नजर आ रही है.

क्या कथावाचकों के पास पहुंचने का नहीं हो रहा असर?

सवाल यह है कि विधानसभा चुनाव में हिंदुत्व का माहौल बनाने वाले कथावाचक और बाबा आखिर लोकसभा चुनाव के सीन से कहां गायब हैं? आखिर क्यों बाबा कथावाचकों ने लोकसभा चुनाव में नेताओं और राजनीतिक पार्टियों से दूरी बना ली है. राजनीति के अवसरवाद में बाबा फिट नहीं बैठ रहें? चुनाव के बीच शांत पड़े इन बाबा कथावाचकों से यही मतलब सामने निकल कर आ रहा है कि इन कथावाचकों के पास पहुंचने से कोई खास असर नहीं पड़ा. शायद इसलिए अब कोई उनकी देहरी पर माथा टेकने नहीं जा रहा.

इन दिग्गजों ने लगाई थी दरबार में हाजिरी

बताते चलें कि 2023 के विधानसभा चुनाव में जितनी शिद्दत से हिंदुत्व और सनातन का मुद्दा बीजेपी नेताओं ने नहीं उठाया था. उससे ज्यादा कथावाचकों के पंडाल और बाबाओं के दरबार से उठा. इस दौरान बाबाओं के दरबार में मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान, कांग्रेस नेता कमलनाथ, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा और नितिन गडकड़ी जैसे कई राजनीतिक दिग्गजों ने हाजिरी लगाई थी. हालांकि, मध्य प्रदेश की सियासय में बाबाओं और नेताओं का गठजोड़ बहुत पुराना है. साधु-संतों के द्वारा जमीनी स्तर पर पकड़ बनाकर नेता सत्ता पर कब्जा करने में बहुत पहले से माहिर रहे हैं. शायद यही वजह रहा होगा कि मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव के दौरान ये बाबा सक्रिय नजर आएं और आम चुनाव में शांत हैं.

Latest News

PM Modi in Odisha: ओडिशा में बोले PM मोदी- “गैर-भाजपा शासित राज्य में पहली बार बनने जा रही डबल इंजन की सरकार”

PM Modi in Odisha: यूपी सहित देश के आठ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की 49 सीटों के लिए...

More Articles Like This