Court Inauguration In Mandangad: महाराष्ट्र के कोंकण क्षेत्र में स्थित रत्नागिरी जिले के मंडणगड में एक नए कोर्ट भवन का उद्घाटन भारत के मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति भूषण रामकृष्ण गवई द्वारा किया गया. इस अवसर पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, बॉम्बे हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति चंद्रशेखर, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे, रत्नागिरी जिले के पालक मंत्री उदय सामंत, न्यायमूर्ति मकरंद कार्णिक, न्यायमूर्ति माधव जामदार वरिष्ठ न्यायिक सदस्य और राज्य भर से आए विशिष्ट अतिथि उपस्थित थे. इस समारोह में डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की प्रतिमा और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाने वाली भित्ति चित्रों का अनावरण भी मुख्य न्यायाधीश के करकमलों द्वारा किया गया.
न्यायिक प्रणाली का सशक्तिकरण
यह अत्याधुनिक कोर्ट भवन न्यायिक प्रणाली को सुदृढ़ करने और ग्रामीण क्षेत्रों में न्याय की पहुंच को बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस भवन में आधुनिक कोर्टरूम, डिजिटल सुविधाएं और क्षेत्र की बढ़ती न्यायिक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं उपलब्ध हैं. अपने मुख्य भाषण में, मुख्य न्यायाधीश गवई ने जमीनी स्तर पर न्यायिक बुनियादी ढांचे को मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया.
उन्होंने कहा, “देश युद्ध और शांति में एकजुट रहा है. हमने आंतरिक आपातकाल देखा, फिर भी हम मजबूत और एकजुट रहे. यह डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के संविधान के कारण संभव हुआ.” उन्होंने पिछले 22 वर्षों में एक न्यायाधीश के रूप में विकेंद्रीकरण और कई न्यायिक बुनियादी ढांचा परियोजनाओं को पूरा करने की अपनी प्रतिबद्धता को रेखांकित किया.
महाराष्ट्र सरकार की प्रशंसा व्यक्त की
न्यायमूर्ति गवई ने मंडणगड कोर्ट भवन परियोजना को दो वर्षों में पूरा करने के लिए महाराष्ट्र सरकार का आभार व्यक्त किया. उन्होंने इसे एक सपने के साकार होने के रूप में वर्णित किया. उन्होंने कहा, “कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत के बावजूद, न्याय सभी तक पहुंचे, इसके लिए कार्यपालिका से सहयोग आवश्यक है.” उन्होंने हाल ही में नासिक, नागपुर, कोल्हापुर और दर्यापुर में उद्घाटित कोर्ट भवनों की गुणवत्ता पर गर्व व्यक्त किया. यह भवन न केवल एक बुनियादी ढांचा उपलब्धि है, बल्कि सामाजिक न्याय और कानून के शासन को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतीक भी है.
डॉ. आंबेडकर की विरासत को सम्मान
मंडणगड तालुका का विशेष महत्व है, क्योंकि यहीं भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर का पैतृक गांव अंबडवे है. भारतीय संविधान के प्रमुख रचयिता और सामाजिक न्याय के प्रतीक डॉ. आंबेडकर की विरासत को इस कोर्ट भवन के माध्यम से सम्मानित किया गया. यह उद्घाटन उनकी उस दृष्टि को साकार करता है, जिसमें हाशिए पर रहने वाले समुदायों को सशक्त करना और कानून के शासन को बनाए रखना शामिल है. यह भवन न केवल स्थानीय समुदाय के लिए न्याय का केंद्र होगा, बल्कि डॉ. आंबेडकर के मूल्यों को प्रेरणा के रूप में प्रस्तुत करेगा.
स्थानीय उत्साह और भविष्य की आशा
इस आयोजन में स्थानीय वकीलों, प्रशासनिक अधिकारियों, सिविल सोसाइटी के सदस्यों और नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया. सभी ने इस नए कोर्ट भवन को भावी पीढ़ियों के लिए न्याय का प्रतीक बताया. यह उद्घाटन ग्रामीण भारत में न्यायिक पहुंच को विस्तार देने और डॉ. आंबेडकर द्वारा स्थापित संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखने की दिशा में एक व्यापक प्रतिबद्धता को दर्शाता है. यह कोर्ट भवन मंडणगड और आसपास के क्षेत्रों में समयबद्ध और प्रभावी न्याय सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा.