Gazipur Literature Festival 2025: साहित्य, संस्कृति और संवाद का संगम, भारत एक्सप्रेस के CMD उपेंद्र राय ने गाजीपुर की महत्ता पर दिया जोर

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Gazipur Literature Festival 2025: गाजीपुर की ऐतिहासिक धरती शनिवार को साहित्य, संस्कृति और संवाद के रंगों से सराबोर हो गई. गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 का शुभारंभ पूरे शान-ओ-शौकत के साथ हुआ. यह महोत्सव साहित्य, संस्कृति और निर्मलता की विरासत को समर्पित है. उद्घाटन समारोह में भारत एक्सप्रेस के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय, जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा, राज्यसभा सांसद संगीता बलवंत और दक्षिण अफ्रीका के हाई कमिश्नर प्रोफेसर अनिल सोकलाल ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर शुरुआत की.
गाजीपुर के लोगों का उत्साह देखते ही बना. सभागार में देश-विदेश से आए विद्वानों, साहित्यकारों, कलाकारों और युवा प्रतिभाओं की मौजूदगी ने इस आयोजन को अंतरराष्ट्रीय पहचान दी. एक ओर साहित्य की गंभीरता थी तो दूसरी ओर गाजीपुर की मिट्टी की खुशबू, जिसने हर आगंतुक को अपनापन महसूस कराया.

CMD और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय का संबोधन

भारत एक्सप्रेस चैनल के सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने अपने संबोधन में गाजीपुर की महत्ता पर जोर दिया. उन्होंने कहा कि भारत के नक्शे में गाजीपुर का नाम लिए बिना साहित्य और संस्कृति की चर्चा अधूरी है. गाजीपुर ने स्वामी सहजानंद सरस्वती, स्वामी विवेकानंद, पहवारी बाबा, कुबेर नाथ राय, डॉ. विवेकी राय और डॉ. पीएन सिंह जैसे महान विचारकों और साहित्यकारों को जन्म दिया है.

“समय से आगे चलते हैं साहित्यकार और कवि”

उन्होंने कबीर का उदाहरण देते हुए कहा कि साहित्यकार और कवि मूल रूप से क्रांतिकारी होते हैं. वे समय से आगे चलते हैं और समाज को नई दिशा दिखाते हैं. कबीर ने कहा था ”पोथी पढ़ी-पढ़ी जग मुआ, पंडित भया न कोए, ढाई आखर प्रेम का, पढ़े सो पंडित होए.” यानी असली ज्ञान किताबों से नहीं, बल्कि प्रेम और मानवीय संवेदनाओं से मिलता है.
सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ राय ने कहा कि साहित्यकार समाज की पीड़ा को सामने रखता है लेकिन अपनी पीड़ा कभी नहीं बताता है. वह शब्दों की गहराई और भावों की विशालता के जरिए समाज को नई राह दिखाता है. शासन वही कर सकता है जो अनुशासन में रहता है और साहित्यकार अपने अनुशासन और दृष्टि से समाज को दिशा देता है.

गाजीपुर की आत्मा और योगदान

अपने संबोधन में उन्होंने उपराज्यपाल मनोज सिन्हा के योगदान को भी याद किया. उन्होंने कहा कि मंत्री या बड़े पद पर बैठने वाला व्यक्ति तभी सफल होता है जब उसे अपने क्षेत्र के लोगों का आत्मिक सहयोग मिले. गाजीपुर की आत्मा इतनी बड़ी है कि स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने स्वामी विवेकानंद को यहां भेजा था ताकि वे ज्ञान और आत्मिक ऊंचाई हासिल कर सकें.
सीएमडी और एडिटर-इन-चीफ उपेंद्र राय ने कहा कि हमें फिर से उस आत्मिक ऊंचाई की यात्रा शुरू करनी चाहिए. अगर पानी का गुणधर्म कुछ शब्दों से बदल सकता है तो साहित्य और लोकव्यवहार से समाज का गुणधर्म भी तेजी से बदल सकता है. इसी दौरान उन्होंने जात-पात पर कुठाराघात करने वाली एक कहानी भी सुनाई और बताया कि साहित्य समाज को जोड़ने का काम करता है तोड़ने का नहीं.

फेस्टिवल का महत्व

गाजीपुर लिटरेचर फेस्टिवल 2025 सिर्फ एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं है बल्कि विचारों का संगम है. गाजीपुर की मिट्टी ने हमेशा विचार और संस्कृति को जन्म दिया है. इस फेस्टिवल ने एक बार फिर साबित कर दिया कि गाजीपुर साहित्य और संस्कृति की धारा में एक विशेष स्थान रखता है.
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