राम मंदिर पर ध्वजारोहण के बाद बोले मोहन भागवत- आज तृप्त हुई होगी बलिदान देने वालों की आत्मा

Ved Prakash Sharma
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Ram Mandir: यूपी के अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के ‘शिखर’ पर भगवा ध्वज के विधिवत आरोहण का ऐतिहासिक समारोह संपन्न हुआ. इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और RSS प्रमुख मोहन भागवत ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि मंदिर के ‘शिखर’ पर भगवा ध्वज फहराया. इस महत्वपूर्ण मौके पर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पीएम मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सरसंघचालक मोहन भागवत को रामलला की मूर्ति के लघु मॉडल भेंट किए.

सरसंघचालक मोहन भागवत ने कहा…

इस मौके पर आरएसएस सरसंघचालक मोहन भागवत ने इस दिन को सभी के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण दिन बताया और मंदिर निर्माण के लिए संघर्ष करने वालों के बलिदान को याद किया. उन्होंने कहा, “यह हम सभी के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है. असंख्य लोगों ने एक सपना देखा, असंख्य लोगों ने प्रयास किए और असंख्य लोगों ने बलिदान दिया. उनकी आत्माएं आज तृप्त हुई होंगी. अशोक जी (अशोक सिंघल) को आज शांति मिली होगी. महंत रामचंद्र दास जी महाराज, डालमिया जी (विष्णु हरि डालमिया) और अनगिनत संतों, लोगों और छात्रों ने अपना जीवन न्योछावर किया और कड़ी मेहनत की. जो लोग पर्दे के पीछे थे, वे भी मंदिर निर्माण की आशा बनाए हुए थे. मंदिर अब बन गया है और आज मंदिर की ‘शास्त्रीय प्रक्रिया’ की गई है. आज ध्वजारोहण किया गया है.”

“आज अपने शिखर पर विराजमान हो गया राम राज्य का ध्वज”

मोहन भागवत ने कहा, “राम राज्य का ध्वज, जो कभी अयोध्या में फहराता था और दुनिया में शांति एवं समृद्धि फैलाता था, आज अपने ‘शिखर’ पर विराजमान हो गया है और हमने इसे होते हुए देखा है. ध्वज एक प्रतीक है, मंदिर को बनने में समय लगा. अगर आप 500 साल को भी अलग रख दें, तो भी 30 साल तो लगे ही.”

RSS प्रमुख ने किया कचनार वृक्ष का जिक्र

सरसंघचालक मोहन भागवत ने ध्वज के लिए उपयोग किए गए कचनार  वृक्ष का भी जिक्र किया. उन्होंने कहा कि कचनार का पेड़, जो हर तरह से उपयोगी होता है, यहां इस्तेमाल किया गया है. उन्होंने इसे ‘धर्म जीवन’  की तरह बताया. उन्होंने कहा, “धर्म जीवन भी एक ऐसा ही जीवन है. हमें ऐसा ही जीवन जीना है और इस जीवन के ध्वज को इसके शिखर तक ले जाना है, स्थिति चाहे जो भी हो, कितनी भी कठिन क्यों न हो… सूर्य भगवान हर दिन बिना थके पूर्व से पश्चिम तक जाते हैं, क्योंकि किसी का कर्तव्य केवल स्वामित्व की भावना से ही पूरा होता है.”

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