Varanasi: योगी सरकार की नीतियों के कारण गौशालाओं में हो रहा गोवंश का संरक्षण

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Varanasi: योगी सरकार द्वारा छुट्टा पशुओं को गौशालाओं में रखने और उनकी देखरेख करने की मुहिम रंग लाने लगी है। काशी की गौशालाएं अब अंतरराष्ट्रीय स्तर की हो गई हैं। काशी की तीन गौशालाओं को अंतरराष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) का प्रमाणपत्र मिलने वाला है। अब ये प्रदेश की ऐसी ग्रामीण गौशालाएं बन जाएंगी, जिन्हें आईएसओ 9001:2015 प्रमाण पत्र प्राप्त होगा। ग्रामीण क्षेत्र की मधुमखिया, बंदेपुर और भिटकुरी गौशालाओं को यह प्रमाण पत्र पशुओं की देखभाल, पोषण, स्वच्छता और समग्र प्रबंधन में उत्कृष्ट व्यवस्था के लिए प्रदान किया जा रहा है। यह योगी सरकार के कार्यों व उनकी नीतियों पर मुहर है।
मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल ने बताया कि वाराणसी ग्रामीण क्षेत्र की तीन गौशाला (मधुमखिया, बंदेपुर और भिटकुरी) अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप हो गई है। आईएसओ की टीम गौशालाओं का निरीक्षण करके प्रमाणित कर चुकी है। इन गौशालाओं की देखभाल और बेहतर प्रबंधन के लिए आईएसओ 9001:2015 का प्रमाण पत्र जल्द जारी होने वाला है। उन्होंने बताया कि गौशालाओं के प्रबंधन में पारदर्शिता और गुणवत्ता का विशेष ध्यान रखा गया है। इन्हें सुनियोजित तरीके से विकसित करते हुए उसके पूरे प्रबंधन की स्थाई रणनीति बनाई गई है, जो लंबे समय तक कारगर हो। अन्य गौशालाओं को भी अंतरराष्ट्रीय मानक के अनुरूप बनाने का प्रयास चल रहा है।
गौशालाओं में गोवंशों को स्वस्थ रखने के लिए केवल पारंपरिक भूसा ही नहीं, बल्कि प्रोटीन युक्त साइलेज भी दिया जाता है,जो उनकी पोषण संबंधी जरूरतों को पूरा करता है। गोवंशों को गर्मी और लू से बचाव के लिए उपाय किये गए। जैसे पंखे,कूलर, स्प्रिंकलर से पानी का छिड़काव, छायादार टिन शेड, ग्रीन पर्दा जिस पर पानी का छिड़काव किया जाता है। साफ पानी की उपलब्धता, सीसीटीवी कैमरों द्वारा कंट्रोल रूम से मुख्य पशु अधिकारी और ब्लॉक डेवलपमेंट अधिकारी द्वारा गौशाला की निगरानी की जाती है। जीआई आधारित पशु चिकित्सकों आदि  की उपस्थिति दर्ज की जाती है। बीमार गोवंशों को रखने के लिए अलग से जाली की व्यवस्था की गई है। ग्राम भिटकुरी में वर्मी कंपोस्ट और गोबर गैस भी बनाया जाता है।
सरकार की इस पहल का उद्देश्य न केवल सड़कों पर घूमते छुट्टा पशुओं की समस्या का समाधान करना है, बल्कि उन्हें सुरक्षित और स्वस्थ वातावरण प्रदान करना भी है। इन आईएसओ प्रमाणित गौशालाओं में अपनाई जा रही उन्नत पद्धतियाँ अन्य गौशालाओं के लिए भी आदर्श प्रस्तुत करेंगी और प्रदेश भर में गोवंशों के बेहतर प्रबंधन को प्रोत्साहित करेंगी।
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