भारत में नारी शक्ति की प्रतीक है, निर्बल नहीं, संस्कृति पर हमला नहीं सहेगा राष्ट्र: MLA राजेश्वर सिंह

Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
लखनऊ के सरोजनीनगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह (Dr. Rajeshwar Singh) ने समाजवादी पार्टी से सांसद डिंपल यादव (Dimple Yadav| पर की गई आपत्तीजनक टिप्पणी और नारी शक्ति को लेकर महत्वपूर्ण बाते कही. मंगलवार (29 जुलाई) को सोशल मीडिया एक्स पर सोशल मीडिया हैंडल पर पोस्ट कर रहा भारत में नारी शक्ति की प्रतीक है, निर्बल नहीं, संस्कृति पर हमला नहीं सहेगा राष्ट्र.

भारतीय परंपरा पर उंगली उठाकर स्त्री का कर रहे अपमान

आज कुछ लोग नारी गरिमा और भारतीय परंपरा पर उंगली उठाकर न केवल एक स्त्री का, बल्कि पूरे राष्ट्र की आत्मा का अपमान कर रहे हैं. वे न संस्कृति के साधक हैं, न ही राष्ट्र के हितैषी. उनकी चुप्पी और तटस्थता, वस्तुतः अपराध में सहभागिता के समान है. जो लोग महिलाओं के पारंपरिक परिधानों का उपहास उड़ाते हैं, साड़ी जैसी गरिमामयी वेशभूषा को बंधन का प्रतीक बताते हैं, वे हमारी सनातन सभ्यता को तोड़ने की साजिश कर रहे हैं. यह भारत की आत्मा के खिलाफ एक सूक्ष्म युद्ध है.

नारी, केवल एक देह नहीं विचार है

राजेश्वर सिंह ने कहा कि नारी केवल परिवार की धुरी नहीं है, वह समाज और संस्कृति की भी आधारशिला है. ऋग्वेद के ‘देवी सूक्तम्’ में कहा गया है मैं ही राष्ट्र की अधिष्ठात्री हूँ. मैं ही देवताओं, धन, बुद्धि और अमृत की धारिणी हूँ. उन्होंने आगे कहा कि भारत की धरती पर गार्गी, अपाला, मैत्रेयी जैसी विदुषियों ने वेदों में संवाद किए, झांसी की रानी और अहिल्याबाई होलकर ने शस्त्र उठाए, तो दुर्गा, काली और चंडी के रूप में नारी ने अधर्म और अत्याचार के विरुद्ध युद्ध भी लड़ा.

आज की खामोशी, कल का कलंक बन जाएगी

राजेश्वर सिंह आगे कहा कि यदि आज हम नारी अस्मिता पर हो रहे प्रहारों पर चुप हैं, तो आने वाली पीढ़ी हमें कायर और अवसरवादी कहेगी. खासकर जब मौलवाओं और कट्टरपंथियों की सड़ी-गली सोच सार्वजनिक रूप से महिलाओं के सम्मान को ललकारती है, तब समाज की चुप्पी उन्हें और दुस्साहसी बना देती है. जो विचारधारा 9 साल की बच्चियों की शादी को जायज ठहराती है, महिलाओं को संपत्ति, शिक्षा या गवाही का अधिकार नहीं देती वह भारत की समृद्ध, प्रगतिशील और सहिष्णु संस्कृति से मेल नहीं खा सकती.

समय आ गया है अब और चुप नहीं रहा जा सकता

हर भारतीय को चाहिए कि वह ऐसी कट्टरपंथी सोच का न केवल विरोध करे, बल्कि उसे जड़ से उखाड़ फेंकने की पहल करे. ये वही मानसिकता है जिसने अफगानिस्तान, सीरिया, यमन जैसे देशों को पिछड़ेपन की खाई में धकेल दिया. यदि आज हमने इस सोच को चुनौती नहीं दी, तो भारत को बर्बरता की ओर जाने से कोई नहीं रोक सकेगा.
नारी भारतीय संस्कृति की आधारशिला है वह देवी है, शक्ति है, प्रेरणा है. जो इस गरिमा को ठेस पहुंचाता है, वह केवल महिला का नहीं, संपूर्ण राष्ट्र का अपमान करता है. यह 21वीं सदी है अब चुप रहना पाप है. जो चुप है, वह भी दोषी है. उठिए, बोलिए, विरोध करिए — क्योंकि भारत की संस्कृति नारी का सम्मान करना सिखाती है, उसे अपमानित होते देखना नहीं.

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