सुप्रीम कोर्ट ने UP विधान परिषद भर्ती मामले में CBI जांच को किया रद्द, कहा- बिना ठोस कारण नहीं हो सकती जांच

Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Shivam
Shivam
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
उत्तर प्रदेश विधान परिषद सचिवालय में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी की भर्ती को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा दिए गए CBI जांच के आदेश को रद्द कर दिया. इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि केवल संदेह या आशंका के आधार पर किसी भी सेवा विवाद में आपराधिक जांच शुरू नहीं की जा सकती है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट ने एक सेवा विवाद को स्वतः संज्ञान में बदलकर CBI जांच का आदेश दिया, जबकि इस मामले में किसी प्रकार की ठोस आपराधिकता का आरोप नहीं था. अदालत ने यह भी कहा कि बिना विधिवत अवसर दिए और विधान परिषद को जवाब दाखिल करने का अवसर न देने के बावजूद जांच का आदेश जारी करना न्यायिक प्रक्रिया के नियमों के विरुद्ध है.
पीठ ने स्पष्ट किया कि केवल संदेह, आशंका या मीडिया रिपोर्ट के आधार पर CBI जांच का आदेश नहीं दिया जा सकता. यह आदेश केवल विशेष परिस्थितियों में और ठोस कारणों के आधार पर ही संभव है. अदालत ने यह रुख अपनाया कि किसी भी सरकारी या नियामक कार्रवाई पर आपराधिक आरोप तभी लगाए जा सकते हैं, जब पर्याप्त सबूत और तथ्य मौजूद हों. इस मामले में 2019 के नियमों में किए गए संशोधन को कभी चुनौती के दायरे में नहीं रखा गया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि किसी विधायी या प्रशासनिक कार्रवाई पर स्वचालित रूप से आपराधिक जांच शुरू करना उचित नहीं है. अदालत ने यह भी स्पष्ट किया कि हाईकोर्ट ने बिना ठोस कारण के जांच का आदेश देकर अपने अधिकारों का गलत उपयोग किया हैं.

विधान परिषद को मिला न्यायिक राहत

सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में यह भी रेखांकित किया कि CBI जांच के आदेश को निरस्त करने का उद्देश्य केवल न्यायिक अनुशासन बनाए रखना है. अदालत ने कहा कि न्यायालयों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी भी तरह की आपराधिक जांच शुरू करने से पहले ठोस तथ्य और प्रमाण मौजूद हों. इससे न्यायिक प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनी रहती है. इस फैसले के बाद अब यह स्पष्ट हो गया है कि उत्तर प्रदेश विधान परिषद सचिवालय में हुई भर्ती विवाद की जांच हाईकोर्ट द्वारा CBI को सौंपना अवैध था. सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्देश दिया है कि भविष्य में भी किसी सेवा विवाद या प्रशासनिक मामले में जांच शुरू करने के लिए ठोस आधार और तथ्य मौजूद होने चाहिए.
विशेषज्ञों के अनुसार यह फैसला न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संविधान द्वारा निर्धारित प्रक्रियाओं का सम्मान सुनिश्चित करने के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है. अदालत ने यह स्पष्ट किया कि न्यायालय बिना ठोस कारण और प्रमाण के किसी भी सरकारी या सार्वजनिक संस्था की कार्रवाई के खिलाफ आपराधिक जांच का आदेश नहीं दे सकता हैं. SC के इस निर्णय से यह संदेश भी गया है कि सरकारी नियुक्तियों और भर्ती प्रक्रियाओं में संदिग्ध मामलों को केवल उचित और ठोस कारणों के आधार पर ही जांच के दायरे में लाया जा सकता है.
Latest News

SEBI ने Bank Nifty में बढ़ाई शेयरों की संख्या, बड़े स्टॉक्स वेटेज को किया सीमित

मार्केट रेगुलेटर सेबी (Securities and Exchange Board of India) ने नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के नॉन-बेंचमार्क इंडेक्स जैसे निफ्टी...

More Articles Like This