Waqf Amendment Bill Passed: लोकसभा में पास हुआ वक्फ संशोधन बिल, जानिए पक्ष-विपक्ष में पड़े कितने वोट

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Waqf Amendment Bill Passed: लोकसभा में बुधवार को करीब 12 घंटे की लंबी चर्चा के बाद वक्फ संशोधन बिल पास हो गया. रात 2 बजे हुई वोटिंग में 520 सांसदों ने भाग लिया. 288 ने पक्ष में और 232 ने विपक्ष में वोट डाले. कई विपक्षी नेताओं द्वारा पेश किए गए संशोधनों को पूरी तरह खारिज कर दिया गया.

‘बिना तर्क के विधेयक को असंवैधानिक बता रहा विपक्ष’

वक्फ संशोधन विधेयक पर चर्चा के दौरान केंद्रीय अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने स्पष्ट किया कि इस बिल का उद्देश्य मस्जिदों के प्रबंधन या धार्मिक क्रियाकलापों में कोई भी हस्तक्षेप करना नहीं है. उन्होंने कहा कि सरकार ने सेंट्रल वक्फ बोर्ड में कम से कम दो महिलाओं और राज्य वक्फ बोर्ड में एक महिला सदस्य की नियुक्ति का प्रावधान किया है. रिजिजू ने आगे  कहा कि विपक्ष बिना तर्क के विधेयक को असंवैधानिक बता रहा है, जो गलत है. उन्होंने कहा, “अगर यह विधेयक असंवैधानिक होता, तो अदालत इसे पहले ही रद्द कर देती.”
वहीं, लोकसभा में चर्चा के दौरान विपक्षी नेता असदुद्दीन ओवैसी और इमरान मसूद ने विधेयक के खिलाफ तीखा विरोध किया और कई संशोधन पेश किए, जिन्हें खारिज कर दिया गया. ओवैसी ने विधेयक को मुसलमानों के अधिकारों के खिलाफ बताते हुए इसे असंवैधानिक करार दिया था. हालांकि, रिजिजू ने ओवैसी पर जवाब देते हुए कहा कि हिंदुओं के लिए पहले से वक्फ में प्रावधान हैं, और इसके लिए नए कानून की आवश्यकता नहीं है.
इसके अलावा, कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई और केसी वेणुगोपाल ने भी विधेयक में संशोधन पेश किए, जो अस्वीकार कर दिए गए. इसके बाद, कांग्रेस के सुधाकरन और ईटी मोहम्मद बशीर के संशोधन भी खारिज कर दिए गए. सभी संशोधनों पर ध्वनिमत से मतदान हुआ और अधिकांश को अस्वीकार कर दिया गया.

किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर किया कटाक्ष

विधेयक पर हुई चर्चा के अंत में किरेन रिजिजू ने विपक्ष पर कटाक्ष करते हुए कहा कि “विपक्ष बिना किसी ठोस तर्क के केवल आरोप लगा रहा है. मुझे उम्मीद थी कि वे समझेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ.” उन्होंने यह भी कहा कि यह विधेयक मुस्लिम या इस्लाम विरोधी नहीं है, जैसा कि विपक्ष दावा कर रहा है. इस विधेयक के खिलाफ विपक्ष ने इसे असंवैधानिक बताने के साथ ही, इसे मुस्लिम समाज के खिलाफ मानते हुए कई संशोधन पेश किए थे. हालांकि, सरकार ने उन संशोधनों को खारिज कर दिया और अपने विधेयक को संविधान के अनुकूल बताते हुए इसका समर्थन किया.
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