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भगवान व्यास श्रीमद्भागवतमहापुराण में करते हैं भगवान के अवतार की व्याख्या: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण में भगवान व्यास भगवान के अवतार की व्याख्या करते हैं। हम सब अपने हृदय को, अपने मन को मथुरा मान लें। कलियुग ही कंस है, शरीर जेल है,...

ब्राह्मण में लोभ आ जाए तो उसका तेज हो जाता है खत्म: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, राजा बलि के यज्ञ में वामन भगवान दान लेने गये, राजा बलि ने कहा, ले लो महाराज, जो चाहिए आपको। भगवान ने कहा, तीन पग जमीन दे दो। राजा...

विषयानंद का त्याग करने पर ही ब्रह्मानंद का होता है अनुभव: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, गोपियों को उपदेश देने के लिये आये हुए शुष्क ज्ञानी उद्धव जी को कृष्णमयी राधिका ने कहा,  "अरे उद्धव जी ! छः शास्त्र और चार वेद पढ़ने के बाद...

वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है श्रीमद्भागवत: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवत वेद रूपी कल्पवृक्ष का पका हुआ फल है। जिसमें गुठली, छिलका जैसा कुछ त्याज्य नहीं है, केवल रस ही रस है। अतः भक्तों को यह रस जीवन भर...

जिस सत्कर्म से जीव प्रभु के समीप पहुँचे, उसका नाम है उपवास: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जगत विस्मृत हो जाए और मन प्रभु-स्मरण में जाए तो प्रभु के साथ भक्ति-सम्बन्ध बँध जाता है। उपवास का अर्थ है प्रभु के उप-समीप, वास-निवास करने की प्रक्रिया। जिस सत्कर्म...

जिसके जीवन में संयम नहीं, उसका जीवन है व्यर्थ: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, बानर को हम 'बन्दर' कह कर चाहे कनिष्ठ प्राणी गिने, किन्तु चंचल मन जाने वाले इस बानर में जितने सद्गुण एवं संयम-नियम हैं, उतने हम-सबके पास नहीं है। बानर...

अपकीर्ति वाला मनुष्य जीवित होकर भी मरे हुए के है समान: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, जेब में से रुपये गिर जायें तो हमें खूब दुःख होता है, किन्तु यदि खोने से पूर्व ही उनका किसी दुःखी मनुष्य की आंखों के आंसू पोंछने में उपयोग...

सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से होती है प्राप्त: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सद्गति पुत्र से नहीं, स्वयं के सत्कर्मों से प्राप्त होती है। पुत्र होने पर ही सद्गति प्राप्त होती है- यह बात ठीक नहीं है।आज पाण्डवों का वंश भी नहीं रहा...

परोपकार और प्रभु सेवा में लगे हुए हाथ होते हैं भाग्यशाली: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, तेल से चुपड़े हुए लोहे को जंग नहीं लगता। इसी प्रकार रखे हुए आभूषणों की छीजन भी कम होती है। आपके हृदय को वासना का जंग न लगे और...

परमात्मा को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए भक्ति: दिव्य मोरारी बापू

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, पूजा-पाठ के बाद भगवान से जो कुछ मांगोगे मिलेगा, लेकिन कुछ नहीं मांगोगे तो सब कुछ मिलेगा और भगवान भी मिलेंगे। निष्काम भक्ति ही भागवतशास्त्र का विषय है। भक्ति...
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