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सभी सद्गुणों की परमावधि है श्रीरामचंद्रजी का जीवन: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीरामचरितमानस रूपी सरोवर का चौथा घाट प्रपत्ति का है। यहां श्रीगोस्वामी तुलसीदास जी जैसे संत वक्ता हैं। सामान्य लोग उनके श्रोता समुदाय में बैठे हैं। इन चारों घाटों पर...

भगवान हमें हमारे सत्कर्मों के अनुसार उचित समय आने पर देते हैं फल : दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानस प्रवचन-मानस सरोवर का भक्तिघाट- मानस सर का तीसरा, भक्ति का घाट है। श्री कागभुसुण्डी जी यहां वक्ता हैं। उन्होंने प्रभु रामचन्द्र के बालस्वरुप की दिन-रात आराधना की। इसी...

जिस घर में गरीब का सम्मान है, वह घर बैकुंठ के समान है: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव जीवन का समर्पण हो- प्राणी मात्रा में परमात्मा के दर्शन करके उनकी सेवा में जीवन को समर्पित करने वाले तथा अपने प्रयासों से दुःखी मानव के अश्रु पोंछने...

प्रत्येक में प्रभु को देखने वाला हमेशा उनके सानिध्य का करता है अनुभव: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, सबको प्रभु का रूप मानकर उनके साथ विवेक एवं सद्भाव से व्यवहार करो। प्रत्येक में प्रभु को देखने वाला हमेशा उनके सानिध्य का अनुभव करता है। प्रभु का वियोग...

प्रभु प्रेम के बिना रूखा है ज्ञान: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, चलो, फटे हुए आकाश को पैबन्द लगायें! आज चारों ओर बिखरी हुई वेदना को देखकर यह प्रश्न स्वतः मन में उपस्थित होता है कि ऐसी स्थिति में मानव कैसे...

मन से प्रभु के चरणों के समीप रहना ही है सच्चा उपवास: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, अपने दोष ही देखो- जीव का स्वभाव भी कैसा विचित्र है? उसे स्वयं के जीवन को सुधारने का विचार तो आता नहीं और दूसरों को समझदारी देने को बैठ...

भगवान श्रीराधाकृष्ण का चिंतन ही है सबसे बड़ा योग: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीमद्भागवतमहापुराण तो भवरोग की उत्तम दवा है। भगवान श्रीराधाकृष्ण का चिंतन ही सबसे बड़ा योग है। संसार का चिंतन, विषयों का चिंतन, संसार की बुराइयों का चिंतन सबसे बड़ा...

धन या सुख नहीं, बल्कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए भक्ति: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, निष्काम भक्ति ही भागवत शास्त्र का विषय है। भक्ति धन या सुख प्राप्त करने के लिए नहीं, बल्कि परमात्मा को प्राप्त करने के लिए करनी चाहिए। भक्ति का फल...

हृदय द्रवित होगा तो ही प्रभु मिलन की आतुरता होगी जाग्रत: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, श्रीशुकदेवजी का द्रवित हृदय- कथा श्रवण करते हुए हमारा-आपका हृदय द्रवित हो तो कथा की पक्की छाप लग जाती है और भक्त का मंगल होता है। हृदय द्रवित हुआ...

मनुष्य की अज्ञान रूपी ग्रंथि को खोलने की कुंजी है श्रीमद्भागवत ग्रंथ: दिव्य मोरारी बापू 

Puskar/Rajasthan: परम पूज्य संत श्री दिव्य मोरारी बापू ने कहा, मानव का जब भाग्य उदय होता है, तब उसे संतों का सानिध्य प्राप्त होता है और संत अपनी कृपा से मानव के भाग्य पर छाये अंधकार को ज्ञान के...
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