Starlink Clarification: एलन मस्क की सैटेलाइट कम्यूनिकेशन कंपनी स्टारलिंक की भारत में सेवाओं को लेकर बड़ी खबर आई है, जिससे हर कोई हैरान है. इसमें स्टारलिंक के इंटरनेट के मासिक प्लान की कीमतों को लेकर दावा किया गया था कि ये 8600 रुपये महीने होगी और हार्डवेयर कॉस्ट के तौर पर 34000 रुपये एकमुश्त लगेंगे.
लेकिन स्टारलिंक ने साफ कर दिया है कि इसकी भारतीय वेबसाइट पर मासिक प्लान के लिए जो कीमतें दिखाई दे रही थीं, वो केवल एक डमी परीक्षण डेटा था जो गड़बड़ी के कारण साइट पर विजिबल हो रहा था और ये वास्तविक प्लान कीमतें नहीं थीं. इस दौरान स्टारलिंक ने स्पष्ट किया कि उनकी कंपनी अंतिम सरकारी मंजूरी प्राप्त करने के बाद ही वास्तविक योजनाओं का खुलासा करेगी. ऐसे में स्टारलिंक बिजनेस ऑपरेशंस की वीपी Lauren Dreyer ने अपने एक पोस्ट में कहा कि कीमतें एक प्लेसहोल्डर्स से ज्यादा कुछ नहीं थी जो कन्फिगरेशन में गड़बड़ी के कारण लाइव हो गई थीं.
स्टारलिंक बिजनेस ऑपरेशंस की वीपी ने बताई वास्तविक स्थिति
उन्होंने इस पूरे मामले को स्पष्ट करते हुए कहा कि स्टारलिंक अभी भारत में लॉन्च नहीं हुआ है और कंपनी अभी कस्टमर्स के ऑर्डर्स भी नहीं ले रही है. इसके अलावा स्टारलिंक इंडिया वेबसाइट भी अभी लाइव नहीं हुई है और जो डेटा पहले दिखाई दे रहा था वो उस कॉस्ट को प्रदर्शित नहीं करता जो स्टारलिंक की भारत में सर्विसेज को दिखा सके.
हालांकि जिस बग या ग्लिच के वजह ये गड़बड़ी हुई, उसे तुरंत ठीक कर लिया गया लेकिन कीमतों को लेकर जो खबरें आई उसके आधार पर स्टारलिंक की सेवाओं की कॉस्ट और उपलब्धता को लेकर बहस जरूर छिड़ गई थी.
स्टारलिंक की सेवाओं का है लोगों को इंतजार
वहीं, अब जब स्टारलिंक के ऑफिशियल जवाब आ चुके हैं तो इसके प्लान को लेकर जो कल खबरें आई थीं उनको नकार देना ही उचित है. सैटेलाइट इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनी स्टारलिंक देश के दूरदराज के इलाकों में अपनी सर्विसेज देने का लक्ष्य रखती है और इसके मासिक प्लान और हार्डवेयर की कॉस्ट के बारे में जो भी जानकारी आई हैं उन्हें कंपनी ने फेक करार दे दिया है. हालांकि इसके बाद फिर से इस बात की चर्चा हो रही है कि स्टारलिंक की सेवाओं का फायदा कब से भारत के लोगों को मिलेगा.
पेंडिंग रेगुलेटरी अप्रूवल कैटेगरी में है स्टारलिंक का अप्रूवल
बता दें कि कंपनी महीनों से इसकी तैयारी कर रही है लेकिन रोलआउट अभी भी अंतिम रेगुलेटरी चरण में अटका हुआ है. स्टारलिंक की उपलब्धता के आधार पर भारत अभी भी पेंडिंग रेगुलेटरी अप्रूवल कैटेगरी में है. हालांकि उद्योग जगत की चर्चाओं से हिंट मिलता है कि अप्रूवल की प्रकिया धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे हैं, और कंपनी को हरी झंडी मिलते ही अपनी सेवाएं शुरू करने की उम्मीद है.
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