Guru Nanak Jayanti: गुरु नानक जयंती को क्‍यों कहा जाता है प्रकाश पर्व? जानिए इतिहास

Divya Rai
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Guru Nanak Jayanti 2025: गुरु नानक जयंती सिख धर्म के लिए अहम पर्व है. यह पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्‍ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाया जाता है. इसी दिन सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी का जन्‍म हुआ था. इस पर्व को गुरु पर्व और प्रकाश पर्व के रूप में भी जाना जाता है. इस वर्ष 05 नवंबर यानी आज गुरुनानक जयंती (Guru Nanak Jayanti 2025) मनाई जा रही है. गुरु पर्व को भक्ति, आध्यात्मिक समारोहों और सिख धर्म के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब के भजनों के पाठ के साथ मनाया जाता है.

गुरुनानक देव का जन्‍म

गुरु नानक देव का जन्म 1469 में पाकिस्तान के लाहौर के पास राय भोई दी तलवंडी गांव में हुआ था, जिसे अब ननकाना साहिब के नाम से जानते है. धार्मिक सुत्रों की मानें तो उनके माता-पिता तृप्ता देवी और कालूराम मेहता खत्री थे, जिन्हें अक्सर कालूरन चंद दास बेदी के नाम से जाना जाता है. उन्होंने चंदो रानी और मूल चंद की बेटी सुलखानी देवी से शादी की. उनके बच्चों को श्रीचंद और लखमी चंद के नाम से जाना जाता है. नानक देव को मानवता में ज्ञान लाने और सिख धर्म की नींव रखने का श्रेय दिया जाता है. उन्होंने कई भजन लिखे, जिन्हें गुरु अर्जन देव द्वारा आदि ग्रंथ में संकलित किया गया.

क्यों कहा जाता है प्रकाश पर्व? (Guru Nanak Jayanti 2025) 

गुरु नानक देव जी के जयंती को प्रकाश पर्व के रूप में भी मनाया जाता है. उन्‍होंने अपना पूरा जीवन समाज के कल्‍याण के लिए समर्पित कर दिया. उनका मानना था कि सभी लोग भगवान के बनाए इंसान हैं. भगवान ने जाति-पाति जैसी कोई चीज नहीं बनाई. उन्होंने समाज को सुधरने और ज्ञान का प्रकाश फैलाने का काम किया था. इसी वजह से उनकी जयंती हर वर्ष प्रकाश पर्व के रूप में मनाई जाती है.

ईश्वर के प्रति समर्पित थे गुरु नानक देव

सिखों धर्म के नींव रखने वाले गुरु (Guru Nanak Jayanti) न केवल भारत में बल्कि एशिया के कई हिस्सों में तीर्थ स्थानों पर गए. वे बचपन से ही ईश्वर के प्रति समर्पित भाव रखते थे. उन्होंने अपना सम्‍पूर्ण जीवन समानता और सहिष्णुता को बढ़ावा देने में बिता दिया. गुरु ग्रंथ साहिब के प्राथमिक छंद इस तथ्य पर आधारित है कि इस ब्रह्मांड का बनाने वाला एक है. बता दें कि इस दिन सिख धर्म के अनुयायी सिख पवित्र ग्रंथ, गुरु ग्रंथ साहिब का पाठ करके अखंड पथ का पालन करते हैं. पर्व से दो दिन पहले, प्रभात फेरी का आयोजन करते हैं जिसमें भक्त भजन गाते हैं और इलाकों की यात्रा करते हैं.

गुरु नानक देव ने रखी थी सिख धर्म की नींव

गुरु नानक देव ने ही सिख धर्म की स्थापना की थी. पंद्रहवीं शताब्दी में गुरु नानक सिख धर्म की नींव रखने वाले आध्यात्मिक नेता के रूप में जाने गए. उनकी संपूर्ण विद्या गुरु ग्रंथ साहिब नामक पवित्र पुस्तक में संचित हैं, जो सिख धर्म का प्राथमिक पवित्र धार्मिक पाठ है. गुरु ग्रंथ साहिब को परम, सर्वशक्तिमान और शाश्वत गुरु के रूप में मान्यता प्राप्त है. उन्होंने ही लंगर की शुरुआत की थी ताकि बिना भेद भाव के एक साथ सब लोग बैठ कर खा सके. सिखों के पहले गुरु गुरु नानक देव ने ही दुनिया को एक ओंकार का संदेश दिया, जिसका अर्थ है ईश्वर एक है.

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