सरोजनीनगर विधायक डॉ. राजेश्वर सिंह ने शुक्रवार को अपने आधिकारिक सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक विस्तृत और दूरदर्शी वक्तव्य साझा किया, जिसमें उन्होंने लखनऊ को एक प्रमुख डिजिटल और टेक्नोलॉजी हब के रूप में विकसित करने की अपनी स्पष्ट और साहसी दृष्टि प्रस्तुत की. डॉ. सिंह के अनुसार, जो लखनऊ कभी सांस्कृतिक राजधानी था, वह अब भारत की सबसे बहुप्रतीक्षित तकनीकी पहचान में बदल रहा है. शहर की पहचान अब परंपरा से परिवर्तन की ओर, विरासत से हाई-टेक की ओर अग्रसर हो रही है.
एक नए युग की शुरुआत: लखनऊ में भारत की पहली AI सिटी
विधायक डॉ. सिंह ने बताया कि भारत का पहला “आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सिटी” लखनऊ में 70 एकड़ क्षेत्र में विकसित किया जा रहा है. यह एक अत्याधुनिक परिसर होगा, जिसमें एआई (AI), मशीन लर्निंग, और डाटा एनालिटिक्स में विशेषज्ञता रखने वाली कंपनियां, स्टार्टअप्स और अनुसंधान संस्थान स्थापित होंगे. उन्होंने इसे एक “कल्पना से निकल कर डिजिटल वास्तविकता में बदलता सपना” बताया. डॉ. सिंह ने इस परियोजना को “उत्तर प्रदेश की डिजिटल महत्वाकांक्षा का एक केंद्रीय स्तंभ” बताते हुए इसकी प्रगति को शीघ्रता से सुनिश्चित करने की आवश्यकता पर बल दिया.
वैश्विक टेक्नोलॉजी दिग्गज अब लखनऊ में
डॉ. राजेश्वर सिंह ने यह भी उल्लेख किया कि मात्र 6 महीनों के भीतर, IBM, Deloitte, Sify, Genpact, inMobi, UsefulBI, और Teleperformance जैसी वैश्विक कंपनियों ने लखनऊ में अपनी उपस्थिति दर्ज करा ली है. उन्होंने बताया कि HCLTech, जो इस समय लखनऊ में 10,000 से अधिक पेशेवरों को रोजगार दे रही है, और TCS पहले से शहर में मजबूत आधार बना चुके हैं, जबकि KPMG और Accenture भी शीघ्र ही कार्य प्रारंभ करने जा रहे हैं. डॉ. सिंह ने इस बदलाव को एक आकस्मिक घटना नहीं बल्कि योगी आदित्यनाथ सरकार की रणनीतिक नेतृत्व क्षमता, स्पष्ट नीति और बुनियादी ढांचे की तैयारियों का परिणाम बताया.
अंतरराष्ट्रीय विश्वास और उद्योग विस्तार
डॉ. सिंह ने साझा किया कि कैलिफोर्निया स्थित UsefulBI ने भारत में अपना दूसरा कार्यालय लखनऊ में खोलने का निर्णय लिया है, जो क्षेत्र में बढ़ते वैश्विक विश्वास को दर्शाता है. इसी प्रकार, Dassault Systèmes ने डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सटी (AKTU) में ₹240 करोड़ की लागत से एक Centre of Excellence स्थापित करने की घोषणा की है, जो राज्य में अनुसंधान एवं नवाचार को और अधिक मजबूती देगा. डॉ. सिंह ने कहा, “ये सिर्फ व्यापारिक निर्णय नहीं हैं, बल्कि यह लखनऊ के भविष्य में विश्वास का संकेत हैं, जो इसे वैश्विक टेक्नोलॉजी अर्थव्यवस्था में एक गंभीर खिलाड़ी के रूप में स्थापित कर रहे हैं.”
उत्तर प्रदेश की प्रतिभा: असली गेमचेंजर –
डॉ. सिंह ने गर्व के साथ बताया कि बेंगलुरु के 35% टेक्नोलॉजी प्रोफेशनल्स उत्तर प्रदेश से आते हैं. उन्होंने कहा कि यह जनसांख्यिकीय शक्ति अब राज्य में लौट रही है, क्योंकि अब यहाँ उन्हें नए अवसर मिल रहे हैं. उन्होंने 2023 की NASSCOM–Deloitte रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें लखनऊ को “भारत के अगले उभरते टेक्नोलॉजी हब्स” में स्थान दिया गया है. रिपोर्ट ने लखनऊ को चार मुख्य आधारों पर यह मान्यता दी: कुशल जनशक्ति, लागत प्रतिस्पर्धा, परिपक्व होता स्टार्टअप ईकोसिस्टम, सरकार का सशक्त समर्थन. डॉ. सिंह ने इसे “सिर्फ इन्फ्रास्ट्रक्चर नहीं, बल्कि मानवीय पूंजी, महत्वाकांक्षा और ब्रेन ड्रेन को रिवर्स करने की प्रक्रिया” कहा.
सरोजनीनगर: विधानसभा से राष्ट्रीय नवाचार केंद्र तक
अपने विधानसभा क्षेत्र पर प्रकाश डालते हुए, डॉ. राजेश्वर सिंह ने गर्व से बताया कि सरोजिनी नगर अब एक राष्ट्रीय स्तर का टेक्नोलॉजी और रक्षा हब बन रहा है. उन्होंने उन महत्वपूर्ण परियोजनाओं की सूची साझा की, जो इस क्षेत्र को बदल रही हैं: भारत का सबसे बड़ा एरोसिटी (1,500 एकड़), एआई सिटी (भारत की पहली), इंग्लिश एंड फॉरेन लैंग्वेजेज यूनिवर्सिटी, स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ फॉरेंसिक साइंस, लखनऊ विश्वविद्यालय का तीसरा परिसर – कृषि संकाय, आईटीआई नीवा, एनसीडीसी प्रशिक्षण केंद्र, नेवल शौर्य म्यूजियम, ब्रह्मोस उत्पादन इकाई और डीआरडीओ प्रयोगशालाएं, यूपी डिफेंस इंडस्ट्रियल कॉरिडोर से एकीकरण. डॉ. सिंह ने कहा, “यह केवल विकास नहीं है, यह सरोजिनी नगर को भारत के वैज्ञानिक, तकनीकी और सुरक्षा नक्शे पर रणनीतिक रूप से स्थापित करने की प्रक्रिया है.”
नीति पहल: एआई आयोग की मांग
एआई (Artificial Intelligence) विकास को संस्थागत और संगठित रूप देने के लिए, डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र सौंपा है, जिसमें उन्होंने “उत्तर प्रदेश आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आयोग” के गठन की मांग की है. डॉ. सिंह ने यह आयोग राज्य की एआई नीति, अनुसंधान दिशा और तकनीकी मानकों को स्थापित करने हेतु आवश्यक बताया. उन्होंने AI City और Aerocity दोनों परियोजनाओं को शीघ्र गति देने की आवश्यकता जताई, और कहा कि “ये सिर्फ संरचनात्मक प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि भविष्य के रोजगार, नवाचार और राष्ट्रीय महत्व के प्लेटफॉर्म हैं.”
नेतृत्व और विरासत
अंत में, डॉ. राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लखनऊ के इस डिजिटल पुनर्जागरण का श्रेय देते हुए कहा, “हमारे दूरदर्शी मुख्यमंत्री के क्रांतिकारी नेतृत्व के कारण, लखनऊ आज भारत के डिजिटल भविष्य का मॉडल बन रहा है — और सरोजिनी नगर उसकी धड़कन के रूप में उभर रहा है.” उन्होंने अपना संदेश इन शब्दों के साथ समाप्त किया: “यह तो बस शुरुआत है. डिजिटल युग उनका है, जो निर्माण का साहस रखते हैं, और हम उत्तर प्रदेश का कल, आज बना रहे हैं.”