यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष ने की PM मोदी की तारीफ, पाकिस्‍तान के अमेरिका-चीन के साथ संबंधों पर कही ये बात

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Eurasia Group: राजनीतिक विज्ञानी और यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष इयान ब्रेमर ने ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत-पाकिस्तान तनाव में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के मध्यस्थता के दावों को सार्वजनिक तौर से खारिज करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तारीफ की है. उन्‍होंने इसे अन्य वैश्विक नेताओं की चुप्पी के उलट पीएम मोदी का साहसिक कदम करार दिया.

ब्रेमर ने कहा कि ट्रंप का रवैया था, मैं ताकतवर हूं, राष्ट्रपति हूं,मेरी बात माननी होगी, लेकिन मोदी ने, चीन और रूस की तरह उनका सामना किया. उन्होंने स्‍पष्‍ट रूप से कहा कि भारत पाकिस्‍तान तनाव को कम करने में अमेरिका की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने यह कहकर ट्रंप को अंतरराष्ट्रीय मंच पर शर्मिंदा किया.

पीएम मोदी का सोचा समझा फैसला

ब्रेमर का मानना है कि पीएम मोदी का यह फैसला सोचा-समझा था. इससे उन्हें घरेलू राजनीति में मजबूती मिली और उनकी अमेरिका से अलग स्वतंत्र छवि भी दिखी, जो अमेरिका के अधिकतर सहयोगी देशों में नहीं दिखती. उन्होंने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टार्मर का उदाहरण देते हुए कहा कि स्टार्मर ने ट्रंप की नीतियों को नापसंद करने के बावजूद उन्हें खुश करने की कोशिश की ताकि बेहतर समझौते मिल सकें. वहीं अधिकतर नेता ट्रंप की तारीफों के पुल बांधते रहे,लेकिन मोदी ने उन्हें सबके सामने चुनौती दी और घरेलू स्तर पर फायदा उठाया. ऐसे में अब देखना ये है कि दोनों देशों के सुरक्षा और आर्थिक रिश्तों पर इसका असर पड़ता है या नहीं.

अमेरिका-पाक रिश्तों में अनैतिक कारोबार की गंध

वहीं, अमेरिका-पाकिस्‍तान के बीच बढती नजदीकियों पर यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष ने कहा कि ट्रंप का पाकिस्तान से नज़दीकी बढ़ाना वास्‍तव में रणनीति नहीं बल्कि कारोबार था. ट्रंप परिवार और उनके करीबी लोग पाकिस्तान के साथ पैसों के सौदों में शामिल थे. इसे उन्होंने अनैतिक और अवसरवादी बताया. इसके अलावा, उन्‍होनें सऊदी अरब और पाकिस्तान के रक्षा समझौते को अमेरिकी असफलताओं के खिलाफ एक सुरक्षा घेरा बताया. जिसमें परमाणु सहयोग भी शामिल हो सकता है.

मोदी-पुतिन की लिमोजिन सवारी

ब्रेमर के मुताबिक, हाल ही में चीन में हुई शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) बैठक के दौरान प्रधानमंत्री मोदी का रूसी राष्ट्रपति पुतिन के साथ लिमोजिन में बैठना सिर्फ प्रतीकात्मक नहीं था. यह अमेरिका को सीधा संदेश था, खासकर उस समय जब वॉशिंगटन भारत को रूस से तेल खरीदने पर टैरिफ लगाने की धमकी दे रहा था. यूरेशिया ग्रुप के अध्यक्ष ने याद दिलाया कि मोदी ने अन्य एससीओ देशों की तरह चीन की बेल्ट एंड रोड पहल में शामिल होने से इन्कार किया था और बीजिंग के द्वितीय विश्व युद्ध समारोह से भी दूरी बनाई थी.

पीएम मोदी का ट्रंप का संदेश

उन्होंने कहा कि पुतिन के साथ लिमोजिन यात्रा चीन से नजदीकी नहीं, बल्कि ट्रंप को सीधा संदेश थी मैं अपनी राह खुद चुनूंगा. मोदी का दांव कामयाब रहा. उनकी यह हिम्मत दुनिया ने नोटिस की और इसका उल्टा असर नहीं हुआ. बल्कि, इससे ट्रंप को मोदी से दोस्ताना तरीके से जुड़ने की जरूरत महसूस हुई. हालांकि अमेरिका भारत भारत के साथ साझेदारियों में दिलचस्पी दिखा रहा है लेकिन अधिक समय के लिए नहीं. उन्होंने कहा कि यदि अमेरिका मजबूत यूरोप में दिलचस्पी नहीं रखता, तो यह मानना मुश्किल है कि वह मजबूत भारत चाहता है.

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