भारत-अमेरिका के बढ़ते राजनीतिक तनावों के बीच चेतावनी, खतरे में पड़ सकती है वर्षों की मेहनत से बनी प्रगति

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Washington: समय रहते अमेरिका और भारत के बढ़ते राजनीतिक तनावों को नहीं सुलझाया गया तो वर्षों की मेहनत से बनी प्रगति खतरे में पड़ सकती है. ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) अमेरिका के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर ध्रुव जयशंकर ने लिखित बयान में यह कहा है. जयशंकर का मानना है कि दोनों देशों के बीच पिछले दो दशकों में बनी रणनीतिक साझेदारी एक नए मोड़ पर खड़ी है.

अहम सुनवाई से पहले आया बयान

जयशंकर ने यह बयान अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की विदेश मामलों की समिति को बुधवार को होने वाली अहम सुनवाई से पहले दिया. जयशंकर ने कहा कि अमेरिका-भारत संबंध विभिन्न सरकारों के दौरान लगातार मजबूत होते गए. आज राजनीतिक ठहराव की स्थिति में पहुंच गए हैं. इसके पीछे दो प्रमुख कारण हैं. पहला व्यापार-टैरिफ को लेकर बढ़ता विवाद और दूसरा अमेरिका द्वारा पाकिस्तान के सैन्य नेतृत्व से बढ़ती नजदीकियां शामिल है.

साझेदारी की रफ्तार थमना खतरनाक

जयशंकर के अनुसार यह वही साझेदारी है जो 1998 से आर्थिक सहयोगए इंडो-पैसिफिक रणनीति और चीन की बढ़ती आक्रामकता के बीच मजबूत होती चली गई थी. उन्होंने कहा कि आज जब दोनों देश चीन के बढ़ते प्रभाव और दुनिया भर में फैल रहे अस्थिर हालात का सामना कर रहे हैं. साझेदारी की रफ्तार थमना खतरनाक साबित हो सकता है.

साझेदारी ने दोनों देशों को करीब लाया

अपने बयान में उन्होंने बताया कि किस तरह 1999 में प्रतिबंध हटने से लेकर 2008 के ऐतिहासिक सिविल न्यूक्लियर एग्रीमेंट, रक्षा सहयोग, इंटरऑपरेबिलिटी बढ़ाने, क्वाड की पुन सक्रियता और स्पेस, क्रिटिकल मिनरल्स और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसे क्षेत्रों में बढ़ती साझेदारी ने दोनों देशों को करीब लाया है. लेकिन वही प्रगति आज बाधित होती दिख रही है. उन्होंने लिखा कि वर्तमान स्थिति राष्ट्रपति ट्रंप और प्रधानमंत्री मोदी द्वारा फरवरी 2025 में तय की गई महत्वाकांक्षी द्विपक्षीय एजेंडा को नुकसान पहुंचा सकती है.

रणनीतिक सहयोग को भी झटका

साथ ही क्वाड, मध्य पूर्व और वैश्विक मामलों में हो रहे रणनीतिक सहयोग को भी झटका लग सकता है. जयशंकर ने कहा कि चीन की सैन्य क्षमता अब अमेरिका की बराबरी में खड़ी है. उन्होंने चीन की सीमाओं पर घुसपैठ, 2020 के गलवान संघर्ष, इतिहास के सबसे बड़े नौसेना विस्तार और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बनाए जा रहे डुअल-यूज पोर्ट्स का जिक्र किया. भारत ने भी 2017 से समुद्री मोर्चे पर गश्त बढ़ाई है और क्वाड के समुद्री डोमेन जागरूकता कार्यक्रम सहित कई साझेदारों के साथ सहयोग मजबूत किया है.

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