महिलाओं के विरोध के आगे झुका ईरान! इस्लामिक देश में नए हिजाब कानून लागू होने पर लगी रोक

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Hijab Law of Iran: इस समय ईरान हिजाब को लेकर चर्चा का विषय बना हुआ है. दरअसल बीते कुछ समय से ईरान में हिजाब को लेकर कई सख्‍त कानून लागू किए है, जिसे लेकर वहां लगातार विरोध जारी है. हालांकि हिजाब को लेकर बढ़ते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विरोध के आगे ईरान को झुकना ही पड़ा है.

बता दें कि ईरान ने अपने नए हिजाब कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है. ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने हाल ही में लागू होने वाले विवादित हिजाब और पवित्रता कानून को लागू होने को रोक दिया है. वहीं, ईरानी राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने कहा कि यह कानून अस्‍पष्‍ट है अभी इसमें सुधार करने की जरूरत है. राष्ट्रपति ने इस बात का संकेत दिया कि इस नए हिजाब और पवित्रता कानून को लागू करने से पहले इसके प्रावधानों पर फिर से विचार किया जा सकता है.

नए हिजाब कानून में कड़ी सजा का किया प्राविधान

दरअसल, ईरान के नए हिजाब और पवित्रता कानून के तहत जो महिलाएं और लड़कियां अपने बाल, बांह और पैर के निचले हिस्से को पूरी तरह से नहीं ढकती है उनके लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है. इस दौरान उन महिलाओं या लड़कियों पर भारी जुर्माना के साथ ही 15 साल तक की जेल की सजा हो सकती है.

घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहा विरोध

हालांकि ईरान के इस नए कानून को लेकर एमनेष्टी इंटरनेशनल समेत कई मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून की कड़ी निंदा की है. वहीं, एमनेष्टी ने तो ईरानी अधिकारियों पर ‘दमन की दमघोंटू व्यवस्था को और मजबूत करने की कोशिश’ करने का आरोप लगाया है. वहीं, ईरान के महिला और परिवार मामलों की पूर्व उपाध्यक्ष मासूमे एब्तेकार ने इस कानून की आलोचना करते हुए इसे ईरान की आधी आबादी के लिए अभियोग बताया.

वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक ईरानी कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकारों ने हाल ही में एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें प्रस्तावित हिजाब कानून को ‘अवैध’ बताते हुए राष्ट्रपति पेजेश्कियान से अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया गया.

राष्ट्रपति ने किया था स्वतंत्रता के सम्मान का वादा

दरअसल, इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पेजेश्कियान ने हिजाब को लेकर महिलाओं के साथ सरकार के व्यवहार पर अपनी असहमति जताई थी. साथ ही उन्‍होंने लोगों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने का वादा किया था, जो कि ईरानी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था.

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