हमास युद्ध के बीच इस्राइली सरकार पर संकट, अति-रूढ़िवादी सैन्य कानून ने बढ़ाई परेशानी

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Israel Hamas War : इस्राइली पीएम बेंजामिन नेतन्याहू सरकार हमास के साथ युद्ध के बीच संकट में फंस गई है. इस दौरान अति-रूढ़िवादी सैन्य कानून लागू करने के चलते सहयोगियों ने सरकार का साथ छोड़ने का एलान किया है. जानकारी के मुताबिक, इस्राइल में संसद भंग करने के लिए मतदान हुआ. वहीं विपक्षों का कहना है कि गठबंधन के साझेदार सरकार से नाता तोड़ने के बाद संसद भंग हो जाएग.

इस दौरान यहूदी पुरुषों को इस्राइल में लगभग तीन साल की सैन्य सेवा करने का नयिम है. इसके साथ ही कई साल तक रिजर्व ड्यूटी भी करनी होती है. और यहूदी महिलाओं को दो वर्ष अनिवार्य सेवा करनी होती है. बता दें कि राजनीतिक रूप से इस्राइल में अति-रूढ़िवादी समुदाय को इससे छूट थी. जानकारी के तहत इस्राइल की सरकार ने अति-रूढ़िवादी सैन्य कानून के दौरान इस समुदाय के लोगों को भी सेना में काम करना अनिवार्य कर दिया.

हमास के युद्ध के बाद सैनिको की हुई आवश्‍यकता

बता दें कि अति रूढ़िवादियों को सैन्य सेवा में शामिल करने का फैसला इसलिए लिया गया है कि हमास से युद्ध करने के बाद सैनिकों की बड़ी जरूरत महसूस हुई है. जरूरतमंदों के दौरान इस्राइल ने 360,000 रिजर्व सैनिकों को सक्रिय किया है. जानकारी के मुताबिक, दोनों के बीच हमले को लेकर रिजर्व ड्यूटी के लिए रिपोर्ट करने वाले इस्राइलियों की संख्या इतनी कम हो गई है कि सेना ने सेवा जारी रखने के लिए भर्ती करने के लिए सोशल मीडिया का सहारा लिया है.

सरकार गिराने के लिए विपक्ष का किया आह्वान

ऐसे में नेतन्याहू सरकार के कानून लागू करने की तैयारी और सरकार गिराने के लिए विपक्ष ने आह्वान किया है और कहा कि अति-रूढ़िवादी साझेदार अपने समुदाय को सैन्य सेवा से छूट देने वाला कानून पारित करने में विफल रहते हैं तो उनके साथ नाता तोड़ लेंगे. इस दौरान नेतन्याहू के लिए हरेदीम या हिब्रू में दो पार्टियां बेहद जरूरी हैं.

नेतन्याहू की बड़ी समर्थक पार्टी भी होगी शामिल

बता दें कि इसमें नेतन्याहू की सबसे बड़ी समर्थक पार्टी शास भी शामिल है. शास के प्रवक्ता का कहना है कि वर्तमान में पार्टी विघटन के पक्ष में मतदान करने की योजना बना रही है. जब तक कि वार्ता में कोई सफलता नहीं मिलती. वहीं दूसरी ओर पार्टी डेगेल हाटोरा भी काफी समय से सरकार छोड़ने की धमकी दे रही है. इस मामले को लेकर धर्म और राज्य के विशेषज्ञ शुकी फ्राइडमैन ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि, इस सांप्रदायिक हित का ध्यान सेना में सेवा करने से छूट प्राप्त करना है. ऐसे में पीएम नेतन्याहू सरकार को बचाने के लिए कोई भी समझौता कर सकते हैं.

इस्राइल को इन प्रक्रियाओं को करना पड़ेगा सामना

उन्‍होंने कहा कि अगर इस्राइल की संसद भंग हो जाती है तो सरकार को कई प्रक्रियाओं से गुजरना होगा. बता दें कि हिब्रू विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रोफेसर गायिल तलशीर ने कहा, संसद भंग के बाद भी सरकार को नौकरशाही की कई प्रक्रियाओं का सामना करना पड़ेगा. इसे एक बंदूक की तरह समझिए जिसे स्थिति में रखा गया है, लेकिन ये व समझे कि गठबंधन खत्म हो गया है. बता दें कि इस्राइल में चुनाव 2026 में होने हैं. वहीं तलशीर ने कहा कि संसद भंग होना असंभव है. अगर एक अति-रूढ़िवादी पार्टी अनुपस्थित है, तो वोट पास नहीं होगा और छह महीने तक कोई दूसरा तरीका भी नही उपयोग कर सकते.

अति-रूढ़िवादी भी युद्ध जल्‍द खत्‍म करना वाहते हैं

ऐसे में नेतन्याहू ने कहा कि कानून लागू करने का मकसद मौजूदा युद्ध है. वही तलशीर ने राय देते हुए कहा, अति-रूढ़िवादी दल गठबंधन का हिस्सा हैं, लेकिन वे भी चाहते हैं कि युद्ध जल्द खत्म हो जाए. इस दौरान हरेदीम को लगता है कि एक बार युद्ध समाप्त हो जाने पर उन पर से दबाव हट जाएगा और वे अपनी सैन्य छूट कानून प्राप्त कर सकेंगे.

 

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