Japan Taiwan Remarks: चीन और जापान के बीच तनातनी लगातार बढ़ती ही जा रही है. हाल ही में चीन ने कहा है कि अब जापान ने सीमा लांघ दी है. चीन ने यह टिप्पणी उस वक्त की जब हाल ही में जापान की प्रधानमंत्री साने ताकाइची ने कहा कि ताइवान पर चीन की नौसेना की नाकेबंदी या कोई और कार्रवाई जापान की जवाबी सैन्य कार्रवाई का आधार बन सकती है. चीन का कहना है कि तकाइची की यह टिप्पणी ‘स्तब्ध’ करने वाली है.
चीनी विदेश मंत्री वांग यी ने कहा कि ‘‘यह स्तब्ध करने वाली बात है कि जापान के मौजूदा नेताओं ने ताइवान मामले में सैन्य हस्तक्षेप की बात करके सार्वजनिक तौर पर गलत संकेत दिया है और ऐसी बातें कही हैं जो उन्हें नहीं कहनी चाहिए थीं और इन सबसे उन्होंने ऐसी सीमा लांघी है जहां तक उन्हें जाना ही नहीं चाहिए था.’’
चीन को जापान की हरकतों का देना चाहिए जवाब
वांग यी ने कहा कि चीन को जापान की हरकतों का ‘दृढ़ता से जवाब’ देना चाहिए. ताकाइची के बयान के बाद से पिछले कुछ हफ्तों से दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया है. वांग यी के मुताबिक, बीजिंग ने संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस को एक पत्र भी भेजा है जिसमें अंतरराष्ट्रीय कानूनों और राजनयिक नियमों के उल्लंघन के लिए ताकाइची की आलोचना की गई है.
चीन के राष्ट्रपति ने कही थी बड़ी बात
बता दें कि हाल ही में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने ताइवान को लेकर बड़ा बयान दिया था. शी जिनपिंग ने कहा था कि चीन ताइवान की स्वतंत्रता को लेकर अलगाववादी गतिविधियों और बाहरी हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करेगा और राष्ट्रीय संप्रभुता तथा क्षेत्रीय अखंडता की दृढ़ता से रक्षा करेगा.
चीन से विभाजित हुआ था ताइवान
दरअसल, चीन और ताइवान का 1949 में गृहयुद्ध के दौरान विभाजन हो गया था जिसके बाद चीन में कम्युनिस्ट पार्टी सत्ता में आई थी. वहीं, पराजित ‘नेशनलिस्ट पार्टी’ की सेनाएं ताइवान चली गईं, जहां उन्होंने अपनी सरकार स्थापित की. बता दें कि चीनी सेना ताइवान के हवाई और जलक्षेत्र में नियमित रूप से लड़ाकू विमान एवं युद्धपोत भेजती है और हाल के वर्षों में उसने इस क्षेत्र में बड़े सैन्य अभ्यास भी किए हैं.
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