लालमोनिरहाट एयरबेस पर दोबारा संचालन शुरू करेगा ढाका! बांग्लादेश के जंगलों में रंगे हाथ पकड़ा गया चीन

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Lalmonirhat Airbase: भारत के खिलाफ पाकिस्तान का साथ देने वाले चीन और तुर्की ने अब बांग्लादेश में बड़ा खेल कर दिया है. दरअसल, भारतीय सीमा से करीब 15 किलोमीटर दूर बांग्लादेश के जंगलों में चीन रंगे हाथों पकड़ा गया है. चीन ने बांग्लादेश के जंगलों में अपनी एक सीक्रेट टीम भेजी है. सूत्रों के मुताबिक, बांग्लादेश चीन की मदद से भारतीय सीमा के पास बेकार पड़े अपने लालमोनिरहाट एयरबेस को दोबारा बनाने की योजना कर रहा है.

चीन के अलावा तुर्की ने अखंड बांग्लादेश की बातें शुरू कर दी हैं. ऐसे में तुर्की के कहने पर बांग्लादेश के एक आतंकी संगठन ने भारत के राज्यों को अपना बताकर इस्लामिक सल्तनत का एक नया नक्शा जारी किया है, जिसमें बांग्लादेश के आतंकियों ने भारत के कई राज्यों को अपना बताया है. हालांकि भारत ने भी इसका करारा जवाब दिया है. दरअसल, भारत ने खतरे को भांपते हुए बांग्लादेश के खिलाफ एक बड़ा ऐलान कर दिया है, जिससे बांग्लादेश आगे चलकर चीन और तुर्की के लिए पाकिस्तान जैसा लॉन्च पैड न बन जाए.

क्या है ये एयरबेस?

बता दें कि ब्रिटिश अधिकारियों द्वारा 1931 में निर्मित, लालमोनिरहाट एयरफील्ड ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. इसे म्यांमार सहित दक्षिण पूर्व एशिया में संचालन के लिए मित्र देशों की सेनाओं द्वारा एक अग्रिम बेस के रूप में इस्तेमाल किया गया था.  कथित तौर पर 1,166 एकड़ में फैली इस सुविधा में चार किलोमीटर लंबा रनवे और पर्याप्त टरमैक स्पेस था. वहीं, विभाजन के बाद, पाकिस्तान ने 1958 में नागरिक उपयोग के लिए एयरफील्ड को कुछ समय के लिए फिर से सक्रिय किया.

हालाँकि, बेस अंततः अनुपयोगी हो गया और दशकों तक काफी हद तक निष्क्रिय रहा. यह स्थल वर्तमान में बांग्लादेश वायु सेना के नियंत्रण में है और देश के नौ आधिकारिक हवाई अड्डों में से एक है. बीएएफ स्टेशन लालमोनिरहाट (आईसीएओ कोड वीजीएलएम) के रूप में जाना जाता है, इसे अपने परिचालन वर्षों के दौरान एशिया का दूसरा सबसे बड़ा हवाई अड्डा माना जाता था.

क्यों रणनीतिक रूप से ये है अहम?

लालमोनिरहाट एयरबेस की भारत के सिलीगुड़ी कॉरिडोर (चिकन नेक) से निकटता नई दिल्‍ली की बढ़ती चिंताओं का केंद्र है. बता दें कि उत्तरी पश्चिम बंगाल में स्थित यह कॉरिडोर अपने सबसे संकरे बिंदु पर सिर्फ़ 22 किलोमीटर चौड़ा है और भारत के आठ पूर्वोत्तर राज्यों को मुख्य भूमि के बाकी हिस्सों से जोड़ता है. यह नागरिक और सैन्य दोनों तरह की आवाजाही के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग के रूप में कार्य करता है. इस कॉरिडोर को कोई भी ख़तरा भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र तक पहुँच को अस्थिर कर सकता है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, असम, नागालैंड, मणिपुर, मिज़ोरम, त्रिपुरा, मेघालय और सिक्किम शामिल हैं.

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