‘चुनाव के नतीजों को लेकर कोई मतभेद नहीं’, म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस की बैठक में बोले एस जयशंकर

Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
Must Read
Aarti Kushwaha
Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Munich Security Conference: भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर जर्मनी में आयोजित म्यूनिख सिक्योरिटी कॉन्फ्रेंस की एक बैठक में शामिल हुए. जहां उन्‍होंने भारत और दुनिया में लोकतंत्र की अहमियत पर बात की. लोकतंत्र विषय पर आयोजित इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री के अलावा, नॉर्वे की प्रधानमंत्री और अमेरिकी सीनेटर एलिसा स्लॉटकिन और वारसा के मेयर रफाल ट्रासकोव्सक बतौर पैनलिस्ट शामिल हुए.

विदेश मंत्री ने दिखाई ऊंगली पर लगी स्‍याही

इस बैठक के दौरान कुछ पैनलिस्ट ने कहा कि दुनिया में लोकतंत्र का भविष्य खतरे में है. लेकिन भारतीय विदेश मंत्री ने इस दावे को खारिज कर दिया और कहा कि ‘मैं लोकतंत्र को लेकर आशावान हूं. मैं अभी अपने राज्य के चुनाव में हिस्सा लेकर आया हूं. बीते साल हमारे देश में राष्ट्रीय चुनाव हुए और कुल मतदाताओं में से करीब दो तिहाई ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया.’इस दौरान उन्‍होंने अपने ऊंगली पर लगी स्याही को भी दिया.

लोकतंत्र ने दुनिया को दिया बहुत कुछ

एस जयशंकर ने कहा कि ‘चुनाव के नतीजों को लेकर कोई मतभेद नहीं है और मतदान शुरू होने के बाद से अब 20 फीसदी अधिक मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल कर रहे हैं. कहा जा रहा है कि दुनियाभर में लोकतंत्र खतरे में है, लेकिन मेरा ऐसा मानना नहीं है. लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है और लोकतंत्र ने दुनिया को बहुत कुछ दिया है.’

आजादी के बाद भारत ने अपनाया लोकतंत्र का मॉडल

एस जयशंकर का मानना है कि ‘लोकतंत्र के लिए चुनौतियां भी हैं और अलग-अलग देशों में हालात अलग हैं, लेकिन कई देशों में लोकतंत्र अच्छे से काम कर रहा है.’ उन्‍होंने कहा कि भारत ने आजादी के बाद ही लोकतंत्र के मॉडल को अपनाया. एस जयशंकर ने कहा कि पश्चिम के देश मानते हैं कि लोकतंत्र उनकी देन हैं, लेकिन वैश्विक दक्षिण के देश मानते हैं कि भारतीय समाज में लोकतंत्र अन्य देशों के मुकाबले ज्यादा गहरे तक बैठा हुआ है.    

म्यूनिख में यूक्रेन के विदेश मंत्री से मिले जयशंकर

भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने म्यूनिख सुरक्षा सम्मेलन में शामिल होने से पहले यूक्रेन के विदेश मंत्री आंद्रेई सिबिहा से मुलाकात की. इस दौरान उन्‍होंने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर चर्चा की. इसके अलावा, जर्मनी के रक्षा मंत्री बोरिस पिस्टोरियस समेत कई वैश्विक नेताओं से भी मिले.

इसे भी पढें:- इस महाद्वीप का सबसे बड़ा खतरा रूस और चीन नहीं, बल्कि… यूरोपीय देशों पर भड़के अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस

Latest News

न आश्रय, न भोजन और न ही कोई स्पष्टता… वाघा-अटारी सीमा पर फंसे लोग, सामने आई पाकिस्तान की शर्मनाक करतूत

India-Pakistan Relations: भारत पाकिस्‍तानी लोगों को का अपने मूल्‍क वापस लौटने का सिलसिला जारी है. ऐसे में कई पाकिस्‍तानी...

More Articles Like This