Russia-India-china: भारतीय विदेश मंत्रालय ने भारत-रूस-चीन (RIC) त्रिपक्षीय वार्ता को फिर से शुरू करने के संकेत दिए हैं. दरअसल, विदेश मंत्रालय (MEA) के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने साप्ताहिक प्रेस ब्रीफिंग में कहा कि तीनों देश वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा के लिए फिर से एक मंच पर आ सकते हैं. उन्होंने कहा कि ये एक ऐसा मंच है जहां तीन देश मिलकर वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा करते हैं. हालांकि जब यह बैठक, तो हम आपसी सहमति से तारीख तय करेंगे.
भारत का यह बयान उस समय आया है जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने हाल ही में कहा है कि अब “ट्रोइका” की वापसी का समय आ गया है. सर्गेई लावरोव ने कहा कि हम वास्तव में इस त्रिपक्षीय मंच रूस, भारत, चीन को फिर से सक्रिय करने में रुचि रखते हैं.
मंच सिर्फ विदेश मंत्रियों तक सीमित नहीं…
बता दें कि यह मंच पूर्व रूसी प्रधानमंत्री येवगेनी प्रिमाकोव की पहल पर शुरू हुआ था और तब से 20 से अधिक मंत्री स्तरीय बैठकें हो चुकी हैं. यह मंच सिर्फ विदेश मंत्रियों तक ही सीमित नहीं रहा, बल्कि आर्थिक, व्यापार और वित्तीय एजेंसियों के प्रमुखों के स्तर पर भी इसमें बातचीत होती रही है.
2007 दिल्ली सुरक्षा सम्मेलन एक महत्वपूर्ण उपलब्धि
दरअसल, इस मंच की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि रही 2007 का दिल्ली सुरक्षा सम्मेलन. इस दौरान तीनों देशों के वर्तमान विदेश मंत्रियों चीन के ली झाओशिंग, भारत के प्रणब मुखर्जी और रूस के सर्गेई लावरोव ने मिलकर सीमा पार सुरक्षा, संयुक्त राष्ट्र सुधार और क्षेत्रीय तनावों पर खुलकर चर्चा की थी.
विशेषज्ञ स्तर पर भी हुआ विस्तार
वहीं, साल 2008 से 2010 के बीच RIC मंच ने सिर्फ कूटनीतिक स्तर तक ही नहीं, बल्कि विज्ञान, कृषि, ऊर्जा, स्वास्थ्य और डिजास्टर मैनेजमेंट जैसे क्षेत्रों में भी सहयोग बढ़ाया. इस दौरान समारा, बेंगलुरु, नई दिल्ली, मॉस्को और चीन के कई शहरों में विशेषज्ञ-स्तरीय बैठकें हुईं.
भारत-चीन से रिश्तों में तनाव एक चुनौती
इस समय भारत और चीन के बीच सीमा विवाद अभी भी एक संवेदनशील मुद्दा है. हालांकि भारत ने बार बार स्पष्ट किया है कि सीमा पर शांति ही रिश्तों की बहाली की पहली शर्त है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या RIC जैसे मंच पर भारत और चीन दोनों देश पुराने मतभेदों को एक तरफ रखकर वैश्विक साझेदारी के लिए आगे बढ़ सकते हैं.
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