सूडान में 3 हफ्ते में 542 लोगों की गई जान, UN की रिपोर्ट ने किया हैरान

Aarti Kushwaha
Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)

Sudan Violence: सूडान में सेना और रैपिड सपोर्ट फोर्स के बीच छिड़े जंग के चलते बीते 3 हफ्ते में 500 से अधिक नागरिक मारे गए है, जिसमें मासूम बच्‍चें भी शामिल है. इस बात की जानकारी संयुक्त राष्ट्र के तरफ से जारी की गई रिपोर्ट में दी गई है. गुरुवार को संयुक्‍त राष्‍ट्र ने कहा कि पिछले तीन हफ्तों में सूडान के उत्तरी दारफुर क्षेत्र में कम से कम 542 लोगों के मारे जाने की पुष्टि हुई है. हालांकि वास्‍तव में इन मौतों के आकड़ों की बढ़ने की संभावना है.

रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र के अधिकार प्रमुख वोल्कर तुर्क ने कहा कि “सूडान में जो भयावहता सामने आ रही है, उसकी कोई सीमा नहीं है. साथ ही उन्‍होंने देश में चल रहे गृह युद्ध का भी जिक्र किया.

दुनिया का सबसे बड़ा विस्थापन और भूख संकट

दरअसल, दारफुर विशेष रूप से 15 अप्रैल, 2023 को अब्देल फत्ताह अल-बुरहान के नेतृत्व वाली नियमित सेना और उनके पूर्व डिप्टी मोहम्मद हमदान डागालो के नेतृत्व वाली रैपिड सपोर्ट फोर्स (आरएसएफ) के बीच छिड़े युद्ध में एक प्रमुख युद्धक्षेत्र बन गया है. इस दौरान हजारों लोग मारे गए, जिसे सहायता एजेंसियों ने दुनिया के सबसे बड़े विस्थापन और भूख संकट के रूप में वर्णित किया है.

अल-फशर शहर में तेज हुई जंग

वहीं, आरएसएफ के नियंत्रण से बच निकलने वाले दारफुर के अंतिम प्रमुख शहर अल-फशर के लिए लड़ाई हाल के सप्ताहों में तेज हो गई है, क्योंकि अर्धसैनिक बल पिछले महीने राजधानी खार्तूम में हुए नुकसान की भरपाई करने की कोशिश कर रहे हैं.  इसके अलावा, तुर्क ने तीन दिन पहले अल-फशर और अबू शौक शिविर पर आरएसएफ द्वारा किए गए हमले की ओर इशारा किया, जिसमें कम से कम 40 नागरिक मारे गए थे.

नागरिकों की सुरक्षा के लिए करेंगे हर संभव प्रयास

उन्‍होंने कहा कि इससे उत्तरी दारफुर में पिछले तीन हफ्तों में मारे गए नागरिकों की पुष्टि की गई संख्या कम से कम 542 हो गई है. वहीं, इस दौरान देश में चल रही हिंसा का भी वीडियों सामने आया है. जिसमें लोगों को बेहरमी से मारते हुए देखा जा सकता है. ऐसे में एसएएफ और उनके संबंधित सशस्त्र आंदोलनों के साथ आसन्न लड़ाई से पहले आरएसएफ द्वारा ‘रक्तपात’ की भयावह चेतावनी का हवाला देते कहा कि “अल-फशर और उसके आसपास की भयावह परिस्थितियों में फंसे नागरिकों की सुरक्षा के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए.”

ऐसे में यूएन के अधिकार प्रमुख ने कहा कि उन्होंने “आरएसएफ और एसएएफ के दोनों नेताओं को इस युद्ध के भयावह मानवाधिकार परिणामों के बारे में व्यक्तिगत रूप से सचेत किया है.”

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