पत्रकारों के लिए खूनी साल रहा 2024, इस देश में हुईं सबसे ज्यादा हत्याएं, CPJ Report में खुलासा

Raginee Rai
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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CPJ Report: पिछले कुछ सालों में दुनिया में चल रहे संघर्षों और युद्धों के कारण लाखों लोगों की जान जा चुकी है. यह सि‍लसिला अब भी जारी है. लड़ाई में पत्रकार और मीडियाकर्मी भी मारे गए हैं. CPJ रिपोर्ट के मुताबिक साल 2024 पत्रकारों के लिए सबसे खूनी साल रहा है. बता दें कि सीपीजे 30 सालों से पत्रकारों के खिलाफ हो रही घटनाओं का डेटा इकट्ठा रहा है. सीपीजे रिपोर्ट के अनुसार पिछले साल संघर्षों में कम से कम 124 पत्रकारों की हत्‍याएं हुई, जिनमें से 75 प्रतिशत सिर्फ इजरायल के हमलों में मारे गए हैं.

18 देशों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या

रिपोर्ट के अनुसार, 2023 के मुकाबले पत्रकारों की मौत 2024 में 22 प्रतिशत ज्यादा हुई हैं, ये आकड़ा, दुनिया भर में अंतर्राष्ट्रीय संघर्ष, राजनीतिक अशांति और अपराध के बढ़ते स्तर को दिखाता है. CPJ के अनुसार, 18 देशों में पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या हुई है. गाजा युद्ध में कुल 85 पत्रकार मारे गए और सभी इजरायली सेना की गोलाबारी में मारे गए हैं. इसके साथ ही रिपोर्ट में ये भी बताया गया है कि 85 में से 82 मीडियाकर्मी फिलिस्तीनी थे.

इन देशों में भी पत्रकारों की हत्या

बता दें कि सूडान भी गृहयुद्ध से जूझ रहा है. ऐसे में यहां भी पिछले साल कई पत्रकार मारे गए हैं. पाकिस्तान और सूडान पत्रकारों और मीडियाकर्मियों की हत्या के मामले में दूसरे स्थान पर हैं. यहां छह-छह पत्रकार और मीडियाकर्मी मारे गए हैं. इसके बाद, मेक्सिको में 5 पत्रकारों का कत्‍ल हुआ है. यह पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक देशों में से एक माना जाता है. वहीं हिंसाग्रसित देश हैती में भी दो पत्रकारों का मर्डर हुआ है. इसके अलावा रिपोर्ट में अन्य मौतेम्यांमार, मोजाम्बिक, भारत और इराक में बताई गई हैं.

2025 पत्रकारों के लिए सुरक्षित नहीं

सीपीजे ने साल 1992 से पत्रकारों की मौतों का आंकड़ा जुटा रही है. साल 2024 की रिपोर्ट में बताया कि 24 पत्रकारों की हत्‍या उनके काम के परिणामस्वरूप जानबूझकर कर दिया गया. रिपोर्ट में बताया गया कि संसाधनों की कमी के कारण फ्रीलांसर सबसे कमजोर हैं, जिनकी 2024 में 43 मौतें हुई हैं. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2025 भी मीडियाकर्मियों के लिए अच्‍छा नहीं रहने वाला है, क्योंकि पिछले हफ्ते में ही 6 पत्रकारों को मार दिया गया है.

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