‘हिंद महासागर एक वैश्विक जीवन रेखा’, ओमान में आयोजित ‘8वें हिंद महासागर सम्मेलन’ में बोले एस जयशंकर

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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S jaishankar: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को ओमान के मस्कट में ‘8वें हिंद महासागर सम्मेलन’ के उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. इस दौरान उन्‍होंने हिंद महासागर को ‘वैश्विक जीवन रेखा’ बताया. उस जयशंकर ने कहा कि इसका उत्पादन, उपभोग, योगदान और कनेक्टिविटी आज दुनिया को चलाने के तरीके का केंद्र है.

हिंद महासागर क्षेत्र की भलाई के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता

विदेश मंत्री ने कहा कि “नए क्षितिज की तरफ हमारी यात्रा हिंद महासागर के समन्वित बेड़े के रूप में सबसे अच्छी तरह से की जा सकती है. हम इतिहास, भूगोल, विकास, राजनीति या संस्कृति के संदर्भ में एक विविध समूह हैं. मगर, जो चीज हमें एकजुट करती है, वो है हिंद महासागर क्षेत्र की भलाई के प्रति हमारी साझा प्रतिबद्धता.”

आधार रेखा के रूप में चाहते है स्थिरता और सुरक्षा

उन्‍होंने कहा कि अस्थिर और अनिश्चित युग में, हम आधार रेखा के रूप में स्थिरता और सुरक्षा चाहते हैं. लेकिन महत्वाकांक्षाएं और आकांक्षाएं उससे परे हैं जिन्हें हम प्राप्त करने की कोशिश करते है. जब हम एक-दूसरे का ध्यान रखेंगे, अपनी ताकत को बढ़ाएंगे और अपनी नीतियों का समन्वय करेंगे तो उन्हें प्राप्त करना आसान होगा. मैं आप सभी को आश्वस्त कर सकता हूं कि भारत इन प्रयासों में सबसे आगे रहेगा.

व्यापार, निवेश और ऊर्जा सुरक्षा सहयोग पर हुई चर्चा

वहीं, इससे पहले भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने ओमान के विदेश मंत्री बद्र बिन हमद अल बुसैदी से मुलाकत की. उन्‍होंने सोशल मीडिया प्‍लेटफॉर्म एक्‍स पर पोस्‍ट कर लिखा कि “आज सुबह ओमान के विदेश मंत्री बदर बिन हमद अल बुसैदी से मिलकर बहुत खुशी हुई. 8वें हिंद महासागर सम्मेलन की सफलतापूर्वक मेजबानी करने में उनके व्यक्तिगत प्रयासों की सराहना करता हूं. व्यापार, निवेश और ऊर्जा सुरक्षा में हमारे सहयोग पर व्यापक चर्चा हुई.”

विदेश मंत्री ने आगे लिखा कि “हमें खुशी है कि हम अपने राजनयिक संबंधों की 70वीं वर्षगांठ मनाने के लिए संयुक्त रूप से लोगो जारी कर पाए. साथ ही, संयुक्त रूप से एक पुस्तक ‘मांडवी टू मस्कट: इंडियन कम्युनिटी एंड द शेयर्ड हिस्ट्री ऑफ इंडिया एंड ओमान’ का विमोचन भी किया.” बता दें कि यह पुस्‍तक भारत और ओमान की साझा विरासत पर लिखी गई है.

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