आज संयुक्त परिवार खत्म होते जा रहे हैं. हर कोई छोटे परिवार को महत्व दे रहा है. हमारे शहर में ऐसे कई परिवार हैं, जिनकी 3-4 पीढि़यां आज भी एक साथ रहती हैं. ऐसा ही एक परिवार हिंदपीढ़ी के बेनी माधव प्रेस सेकेंड स्ट्रीट में 1901 से रह रहा है. हम बात कर रहे हैं पंडित राम सुंदर शर्मा (Ram Sunder Sharma) की जो गाजीपुर से अपने फैमिली के साथ रांची आए थे. वे संस्कृत के विद्वान थे. उनकी लिखी पुस्तक उस समय बिहार, ओडिशा व बंगाल बोर्ड में चलती थी.
शुरू से ही वे पूरे परिवार को लेकर चलते थे. उनके पोते विशाख शर्मा ने बताया कि दादा जी जब यूपी से रांची आए तो मेरे पिता व तीन चाचा थे. दादा हमेशा सभी को साथ रहने की सीख देते. वे कहते थे कि एकता में बड़ी ताकत है. परिवार की एकता को कभी टूटने नहीं देना, चाहे जैसी भी परिस्थिति हो, मिल कर रहने से मुश्किल दौर आसानी से पार हो जाता है. पिता प्रेम नारायण शर्मा, बड़े पापा कृष्ण बिहारी शर्मा, चाचा आनंद शंकर शर्मा व प्रभु नारायण शर्मा इन चारों ने मेरे दादाजी की बात को गांठ बांध लिया और उनके बताए मार्ग पर चलते हुए संयुक्त परिवार में साथ रह रहे हैं.


