भारत और ब्रिटेन के बीच हाल ही में पूरी हुई फ्री ट्रेड एग्रीमेंट से भारत के कपड़ा और परिधान उद्योग को बड़ा लाभ मिलने की उम्मीद है. ICRA की ताजा रिपोर्ट में कहा गया है कि इस समझौते के चलते भारत का यूके को कपड़ा निर्यात अगले पांच से छह वर्षों में मौजूदा आंकड़ों से दोगुना हो सकता है. अब तक भारत से ब्रिटेन को निर्यात होने वाले वस्त्रों पर 8 से 12 फीसदी तक का आयात शुल्क लगता था, लेकिन एफटीए लागू होने के बाद 99 प्रतिशत उत्पादों पर यह शुल्क पूरी तरह खत्म हो जाएगा. इसका फायदा यह होगा कि भारत को बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ मुकाबले में बराबरी का मौका मिलेगा, जो पहले शुल्क छूट का लाभ उठाते थे.
गौरतलब है कि भारत-यूके एफटीए 6 मई 2025 को पूरा हुआ और इसे कैलेंडर वर्ष 2026 से लागू किया जाएगा. वर्तमान में चीन 25% बाजार हिस्सेदारी के साथ ब्रिटेन के कपड़ा आयात में सबसे आगे है, जबकि बांग्लादेश 22 प्रतिशत हिस्सेदारी के साथ दूसरे स्थान पर है. इसके बाद तुर्की (8 प्रतिशत) और पाकिस्तान (6.8 प्रतिशत) हैं. ऐसे में एफटीए भारत को प्रतिस्पर्धा में बने रहने और ब्रिटेन में अपनी बाजार हिस्सेदारी बढ़ाने में मदद करेगा. भारत फिलहाल यूके का 12वां सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है और परिधान एवं घरेलू टेक्सटाइल क्षेत्र में पांचवां सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता है. वर्ष 2024 में भारत ने ब्रिटेन को लगभग 1.4 अरब डॉलर के वस्त्र निर्यात किए थे, जिससे देश की बाजार हिस्सेदारी 6.6% रही.
वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, भारत का वस्त्र और परिधान निर्यात लगातार बढ़ रहा है. अप्रैल 2025 में इस क्षेत्र में सालाना आधार पर 7.45 प्रतिशत की बढ़त देखी गई, जिसमें परिधान निर्यात में 14.43 प्रतिशत की जबरदस्त वृद्धि प्रमुख कारण रहा. सीआईटीआई (भारतीय वस्त्र उद्योग परिसंघ) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने इस वृद्धि को अमेरिका की नई टैरिफ नीति से जोड़ते हुए कहा कि अमेरिकी प्रशासन द्वारा रेसिप्रोकल टैरिफ लागू किए जाने के बाद भारत से अमेरिका को परिधान निर्यात में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. कुल मिलाकर, भारत-यूके एफटीए न सिर्फ भारत के कपड़ा उद्योग को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में मजबूत करेगा, बल्कि रोजगार और निवेश के नए अवसर भी पैदा करेगा.