WHO: कोरोना महामारी के दौरान ऐतिहासिक महामारी समझौते की शुरुआत की गई. इसकी मंजूरी देने से पहले 3 साल से अधिक समय तक इसे अपनाने की प्रक्रिया चली. आज यानी मंगलवार को विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के सदस्य देशों ने औपचारिक रूप से इस ऐतिहासिक महामारी समझौते के पक्ष में वोटिंग की है.
संयुक्त राष्ट्र स्वास्थ्य निकाय ने एक बयान में इसका ऐलान किया है. इस समझौते का मकसद देशों, डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि महामारी को रोका जा सके.
जानें क्या है समझौते का उद्देश्य
- इस समझौते में महामारी की रोकथाम के लिए जो कमियां हैं, उन्हें दूर करने पर चर्चा हुई.
- WHO ने बयान जारी कर कहा कि ‘इस महत्वपूर्ण समझौते को डब्ल्यूएचओ संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत अपनाया गया.
- इसका मकसद देशों, डब्ल्यूएचओ जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों, नागरिक समाज, निजी क्षेत्र और अन्य हितधारकों के बीच मजबूत सहयोग को बढ़ावा देना है ताकि महामारी पर नियंत्रण किया जा सके.
- भविष्य में महामारी संकट की स्थिति में बेहतर तरीके से निपटा जा सके.
WHO के महानिदेशक बोले…
डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस एडनम घेब्रेसियस ने कहा कि दुनिया भर की सरकारें अपने देशों और वैश्विक समुदाय को महामारी के खतरों से सुरक्षित बना रही हैं. मैं विश्व स्वास्थ्य संगठन के सदस्य देशों को कोविड-19 के बाद भविष्य की महामारियों से दुनिया को बेहतर तरीके से बचाने के लिए एक साथ आने का संकल्प लेने के लिए बधाई देता हूं. इस ग्लोबल समझौते को विकसित करने के लिए उनका काम यह सुनिश्चित करेगा कि देश अगली महामारी के खतरे को रोकने और उसका जवाब देने के लिए बेहतर, तेज और अधिक समान रूप से एक साथ काम करें.’
इस समझौते के तहत पैथोजन एक्सेस एंड बेनेफिट शेयरिंग सिस्टम (PABS) तैयार किया जाएगा. इसके लिए एक अंतरसरकारी कार्य समूह स्थापित होगा. इस पीएबीएस सिस्टम में फार्मा कंपनी भी शामिल की जाएंगी, ताकि महामारी की स्थिति में जल्द से जल्द वैक्सीन तैयार हो सके.
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