केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक, अखिल भारतीय उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) पर आधारित मुद्रास्फीति दर इस वर्ष अप्रैल में कृषि श्रमिकों (CPI-AL) के लिए 3.48% और ग्रामीण श्रमिकों (CPI-RL) के लिए 3.53% रही. पिछले वर्ष अप्रैल 2024 में यह 7.03% और 6.96% थी, जिससे यह स्पष्ट होता है कि महंगाई में गिरावट आई है. सरकार का मानना है कि इस कमी से ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिलेगी. मुद्रास्फीति दर में मासिक आधार पर भी कमी आई है, क्योंकि मार्च 2025 के लिए यही आंकड़े सीपीआई-एएल के लिए 3.73% और सीपीआई-आरएल के लिए 3.86% थे.
कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति दर पिछले छह महीनों में लगातार घट रही है. यह उन कमजोर वर्गों के लिए राहत भरा है, जो बढ़ती कीमतों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. श्रम एवं रोजगार मंत्रालय द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक, इससे कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के हाथ में अधिक पैसे बचते हैं, जिससे वे अधिक सामान खरीद पाते हैं और उनकी जीवनशैली बेहतर होती है. कृषि और ग्रामीण श्रमिकों के लिए मुद्रास्फीति में गिरावट देश की समग्र खुदरा मुद्रास्फीति में अप्रैल में 3.16% की गिरावट की पृष्ठभूमि में आई है, जो मार्च में 3.34% थी और जुलाई, 2019 के बाद से सबसे कम स्तर पर है.
खाद्य कीमतों में कमी दर्ज की गई, जिससे घरेलू बजट को राहत मिली है. खाद्य मुद्रास्फीति, जो उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) बास्केट का लगभग आधा हिस्सा है, अप्रैल में धीमी होकर 1.78% हो गई, जबकि मार्च में यह 2.69% थी. यह लगातार तीसरा महीना है, जब मुद्रास्फीति आरबीआई के 4% मध्यम अवधि के लक्ष्य से नीचे रही है. इससे केंद्रीय बैंक आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए अपनी नरम मुद्रा नीति को जारी रखने में सक्षम होगा. हाल के महीनों में देश में खुदरा मुद्रास्फीति में गिरावट का रुख रहा है.
रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने 2025-26 के लिए मुद्रास्फीति के अपने पूर्वानुमान को 4.2% से घटाकर 4% कर दिया है, क्योंकि आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने हाल ही में मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक के दौरान कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति का दृष्टिकोण निर्णायक रूप से सकारात्मक हो गया है. रबी फसलों को लेकर अनिश्चितताएं काफी हद तक कम हो गई हैं और दूसरे एडवांस अनुमान पिछले साल की तुलना में रिकॉर्ड गेहूं उत्पादन और प्रमुख दालों के अधिक उत्पादन की ओर इशारा करते हैं. खरीफ की मजबूत आवक के साथ खाद्य मुद्रास्फीति में स्थायी नरमी की स्थिति बनने की उम्मीद है.