US: डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन के खिलाफ दिए जांच के आदेश, जानिए क्या है मामला

Raginee Rai
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US President Trump: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पूर्व राष्‍ट्रपति जो बाइडेन के खिलाफ जांच के आदेश दिए हैं. यह आदेश माफी देने और अन्य दस्तावेजों पर हस्ताक्षर करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा ‘ऑटोपेन’ का इस्तेमाल किए जाने पर दिया गया है. इसके अलावा अमेरिकी संसद के निचले सदन-प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन पार्टी के नेताओं ने भी बाइडेन के करीबी सदस्यों से पूछताछ का अनुरोध किया है.

क्या है ऑटोपेन?

‘ऑटोपेन’ एक यांत्रिक उपकरण है जिसका इस्‍तेमाल किसी व्यक्ति के प्रामाणिक हस्ताक्षर की नकल करने के लिए किया जाता है और अमेरिका के राष्ट्रपति दशकों से इसका प्रयोग कर रहे हैं. राष्‍ट्रपति ट्रंप ने आरोप लगाया है कि जो बाइडेन की कुछ कार्रवाइयां अमान्य थीं और उनके सहयोगियों ने राष्ट्रपति के अधिकार का दुरुपयोग किया, जिससे बाइडेन की सोचने-समझने की शक्ति कमजोर होने की बात को छिपाया जा सके.

ट्रंप ने किसे सौंपा जांच का जिम्मा?

राष्‍ट्रपति ट्रंप ने एक ज्ञापन में लिखा, ‘‘यह साजिश अमेरिकी इतिहास के सबसे खतरनाक और चिंताजनक घोटालों में से एक है.’’ ट्रंप ने कहा कि अमेरिकी जनता से जानबूझकर यह छिपाया गया कि कार्यकारी शक्ति किसके पास है और बाइडेन के हस्ताक्षर का इस्तेमाल हजारों दस्तावेजों पर किया गया ताकि बड़े नीतिगत बदलाव किए जा सकें. राष्‍ट्रपति ट्रंप ने अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी और अमेरिकी राष्ट्रपति के आधिकारिक आवास एवं कार्यालय ‘व्हाइट हाउस’ के वकील डेविड वॉरिंगटन को इस जांच की जिम्‍मेदारी दी है.

कौन ले रहा था फैसले?

इस बीच, अमेरिका की प्रतिनिधि सभा की मुख्य जांच समिति ‘हाउस ओवरसाइट कमेटी’ के अध्यक्ष एवं रिपब्लिकन नेता जेम्स कॉमर ने आरोप लगाया कि सहयोगी जो बाइडेन की स्वास्थ्य संबंधी स्थिति को छिपाने के प्रयास में शामिल थे जो हमारे देश के इतिहास के सबसे बड़े घोटालों में से एक है.

जेम्‍स कॉमर ने एक बयान में कहा कि ये पांच पूर्व वरिष्ठ सलाहकार पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन की स्थिति और उनके कार्यकाल में ‘व्हाइट हाउस’ के अंदर चल रही गतिविधियों के प्रत्यक्षदर्शी थे. उन्हें ‘हाउस ओवरसाइट कमेटी’ के सामने पेश होना चाहिए और पूर्व राष्ट्रपति बाइडेन की सोचने-समझने की शक्ति के बारे में सच्चाई से जवाब देना चाहिए. साथ ही यह भी बताना चाहिए कि फैसले कौन ले रहा था.’’

ये भी पढ़ें :- हार्वर्ड में दाखिला की अनुमति देना अमेरिका के लिए खतरा, राष्ट्रपति ट्रंप ने नए आदेश पर किए हस्ताक्षर

 

 

 

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