टाटा ‘मेक-इन-इंडिया’ के सपने को देगा उड़ान, एयरबेस के साथ मिलकर बनाएगा स्‍वदेशी हेलिकॉप्टर और विमान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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India aircraft: भारत अब हर क्षेत्र में आसमान की ऊचांईयों को छू रहा है. ऐसे में अब वो आसमान में उडान भरने के लिए खुद के विमान को बनाने की तैयारी में है. दरअसल, टाटा ग्रुप ने एयरबस के साथ मिलकर एक बड़ी शुरुआत की है, जिसके तहत भारत में अब सिर्फ एयरक्राफ्ट के पुर्जे ही नहीं बल्कि अपने खुद के नागरिक विमान (Civil Aircraft) बनाएं जाएंगे

बता दें कि कर्नाटक के कोलार में एक हेलिकॉप्टर असेंबली फैक्ट्री बनाई जा रही है, जो भारत की पहली प्राइवेट हेलिकॉप्टर असेंबली यूनिट होगी. यह फैक्ट्री H125 हेलिकॉप्टर बनाएगी, जो एयरबस का सबसे ज़्यादा बिकने वाला नागरिक हेलिकॉप्टर है. वहीं, ऐसा करने वाला ये दुनिया का चौथा प्‍लांट होगा. बाकी के तीन फ्रांस, अमेरिका और ब्राज़ील में हैं.

टाटा का दूसरा बड़ा कदम

हालांकि इससे पहले टाटा और एयरबस ने गुजरात के वडोदरा में एक सैन्य विमान (C295) की असेंबली लाइन शुरू की थी. यह भारत की पहली प्राइवेट सैन्य विमान निर्माण इकाई है, जिसे लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि यह फैक्ट्री भविष्य में नागरिक विमानों के निर्माण की दिशा में रास्ता खोलेगी.

स्‍वदेशी निर्माण बेहद आवश्‍यक

पूरी दुनिया में बोइंग और एयरबस ही सबसे ज़्यादा विमान बनाते हैं, वहीं, भारत ने अभी इस रेस एंट्री की है. दरअसल, HAL (हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड) 19 सीटों वाला विमान बना रहा है, लेकिन एक बड़ा यात्री विमान बनाना बहुत कठिन काम है. लेकिन भारत में जिस रफ्तार से हवाई यात्रा की मांग बढ़ रही है, ऐसे में आने वाले कुछ वर्षो में भारत को करीब दो हजार से ज्‍यादा विमानों की जरूरत पड़ सकती है, ऐसे में स्‍वदेशी निर्माण बेहद आवश्‍यक है, क्‍योंकि दुनियाभर में सिर्फ दो कंपनियां विमानों की आपूर्ति करती है, ऐसे में भारत की इतनी बड़ी जरूरत को पूरा करना काफी मुश्किल हो सकता है.

क्‍या है भारत का लक्ष्‍य?

बता दें कि एक विमान बनाना सिर्फ तकनीक नहीं, एक पूरा इकोसिस्टम बनाने जैसा है, जबकि भारत एयरक्राफ्ट ग्लोबल सप्लाई चेन में अभी तक 5% से भी कम का योगदान देता है. हालांकि भारत सरकार की एक SPV (Special Purpose Vehicle) बनाने की योजना है, जिसमें विशेषज्ञ, अधिकारी और निजी कंपनियां शामिल होंगी. वहीं, शुरुआत में कुछ पुर्जे विदेश से मंगवाने पड़ सकते हैं, लेकिन लक्ष्य पूरी तरह स्वदेशी निर्माण है.

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