Election Commission Action: भारत के चुनाव आयोग बड़ा फैसला लेते हुए 345 गैर-मान्यता प्राप्त पंजीकृत राजनीतिक दलों (RUPPs) को अपनी लिस्ट से हटाने जा रहा है. ये वो पार्टियां हैं जो पिछले 6 सालों में एक भी चुनाव नहीं लड़े और इनके पंजीकृत पते पर कोई कार्यालय नहीं मिला. इलेक्शन कमीशन ने बताया कि देश भर के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले इन 345 राजनीतिक दलों ने रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टी के तौर पर बने रहने की अनिवार्य शर्तों को पूरा नहीं किया. आयोग के पास वर्तमान में 2800 से अधिक RUPPs रजिस्टर्ड हैं, लेकिन इनमें से कई पार्टी न तो चुनाव लड़ रही हैं और न ही अपनी मौजूदगी साबित कर पा रही हैं.
2022 में हटाया गया 86 RUPPs
आयोग ने अपने बयान में कहा कि ये 345 दल देश के विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से हैं. इनमें से कई दलों ने अपने पते में बदलाव की जानकारी भी आयोग को नहीं दी, जो नियमों का उल्लंघन है. इससे पहले 2022 में आयोग ने 86 गैर-मौजूद RUPPs को हटाया था और 253 को ‘निष्क्रिय’ कर दिया था. इस बार भी आयोग ने कड़ा रुख अपनाते हुए निष्क्रिय दलों को हटाने का फैसला किया है. इस कदम से इन दलों को मिलने वाले लाभ जैसे मुफ्त चुनाव चिन्ह और अन्य सुविधाएं, बंद हो जाएंगी. यह कदम न केवल राजनीतिक प्रक्रिया को मजबूत बनाएगा, बल्कि मतदाताओं का भरोसा भी बढ़ाएगा.
पंजीकरण रद्द करने का नियम
चुनाव आयोग के नियमों के अनुसार, प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A और चुनाव चिन्ह (आरक्षण और आवंटन) आदेश, 1968 के तहत, कोई भी रजिस्टर्ड पार्टी अगर लगातार 6 साल तक लोकसभा, विधानसभा या स्थानीय निकाय चुनाव में शामिल नहीं होती, तो उसका पंजीकरण रद्द किया जा सकता है. ऐसी पार्टी अक्सर केवल कागजों पर मौजूद रहती हैं और टैक्स छूट, मनी लॉन्ड्रिंग या अन्य गैर-कानूनी गतिविधियों में शामिल हो सकती हैं. चुनाव आयोग ने इन दलों के पंजीकृत पतों का भौतिक सत्यापन किया, जिसमें ये पार्टी मौजूद नहीं पाई गई.
जानें क्या है RUPP और क्यों हो रही कार्रवाई
बता दें कि रजिस्टर्ड अनरजिस्टर पॉलिटिकल पार्टियां (RUPPs) वे दल हैं, जो या तो नई पंजीकृत हैं, या जिन्होंने विधानसभा या लोकसभा चुनावों में पर्याप्त वोट हासिल नहीं किए कि उन्हें राज्य या राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा मिल सके, या फिर जिन्होंने पंजीकरण के बाद कभी चुनाव ही नहीं लड़ा. ऐसे दलों को मान्यता प्राप्त दलों की तरह सभी सुविधाएं नहीं मिलतीं, लेकिन इन्हें कुछ अधिकार मिलते हैं, जैसे सामान्य चुनाव चिह्न (कॉमन सिंबल) का आवंटन. आयोग ने पाया कि कई RUPPs इन सुविधाओं का दुरुपयोग कर रहे हैं इसलिए उनके ऊपर ये कार्रवाई की जा रही है.
‘भविष्य में भी जारी रहेगी ऐसी कार्रवाई‘
चुनाव आयोग ने साफ तौर पर कहा कि वह भविष्य में भी ऐसी कार्रवाई जारी रखेगा, ताकि केवल सक्रिय और वैध पार्टी ही पंजीकृत रहें. प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 29A के तहत, पंजीकृत दलों को अपने कार्यालय, पदाधिकारियों और अन्य विवरणों में परिवर्तन की सूचना आयोग को देनी होती है. यदि कोई पार्टी छह साल तक कोई चुनाव नहीं लड़ता या उसका कार्यालय सत्यापन में नहीं मिलता, तो उसे गैर-मौजूद मानकर हटाया जा सकता है. यह नियम धन शोधन और चुनावी धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया गया है.
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