भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSU) का बाजार पूंजीकरण बीते पांच सालों में 57 लाख करोड़ रुपए बढ़कर जून 2025 में 69 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो मार्च 2020 में 12 लाख करोड़ रुपए था. मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड (Motilal Oswal Financial Services Limited) की रिपोर्ट के मुताबिक, FY20 से FY25 के दौरान पीएसयू कंपनियों की आय 36% के CAGR से बढ़ी है, जो कि निजी कंपनियों की तुलना में अधिक है.
BSE PSU Index में 32% की CAGR से हुआ इजाफा
वहीं, इस दौरान BSE PSU Index में 32% की CAGR से इजाफा हुआ है. रिपोर्ट में बताया गया कि FY25 में मंदी के बावजूद मुनाफे में बढ़ोतरी जारी है. निष्कर्षों से पता चला कि दशक भर लंबी रिकवरी स्टोरी बैलेंस शीट की सफाई, नीतिगत अनुकूलता और क्षेत्र-विशिष्ट संरचनात्मक बदलावों पर आधारित है. रिपोर्ट के मुताबिक, रैली और अच्छे मुनाफे के कारण कुल मार्केटकैप में पीएसयू की हिस्सेदारी अब बढ़कर 15.3% हो गई है, जो कि FY22 में 10.1% थी.
मार्केटकैप के साथ-साथ PSU कंपनियों के मुनाफे में भी हुआ इजाफा
मार्केटकैप के साथ-साथ PSU कंपनियों के मुनाफे में भी इजाफा हुआ है. यह FY25 में बढ़कर 5.3 लाख करोड़ रुपए हो गया है, जो कि FY20 में 1.2 लाख करोड़ रुपए था. रिपोर्ट के अनुसार, FY25 में बीएफएसआई का योगदान पीएसयू मुनाफे में 38% रहा है, जो कि वित्त वर्ष 20 में मात्र 7% था. वहीं, FY20-25 के बीच सरकारी कैपिटल गुड्स कंपनियों के मुनाफे में 28% के सीएजीआर से इजाफा हुआ है.
53% का योगदान BFSI सेगमेंट से आने की उम्मीद
इसकी वजह डिफेंस और इन्फ्रा के ऑर्डर्स में पीएसयू की हिस्सेदारी बढ़ना है. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि आने वाले दो वर्षों में पीएसयू के बढ़ने वाले मुनाफे में से 53% का योगदान बीएफएसआई सेगमेंट से आने की उम्मीद है. घाटे में चल रही पीएसयू की हिस्सेदारी अब कुल लाभ पूल में सिर्फ 1% है, जो 18% के आंकड़े 45% से कम है. रिपोर्ट के मुताबिक, संरचनात्मक सुधार पीएसयू कंपनियों में आए बदलाव की बड़ी वजह है.