पाकिस्तान की विदेशनीति का दोहरा मापदंड आया सामने, पहले की अमेरिकी हमले की निंदा अब US जनरल को दिया देश का दूसरा सर्वोच्च सम्मान

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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Pakistan Nishan-E-Imtiaz: पाकिस्‍तान की विदेशनीति में किस हद तक दोहरे मापदंड अपनाएं जा रहे है, इसका एक बड़ा उदाहरण शनिवार को सामने आया जब पाकिस्तान की सरकार ने देश के दूसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘निशान-ए-इम्तियाज़ (मिलिट्री)’ से अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड (CENTCOM) के प्रमुख जनरल माइकल ई. कुरिल्ला को सम्‍मानित किया.

बता दें कि सेंट्रल कमांड अमेरिकी सेना का वही हिस्सा है, जो ईरान और यमन के हूती विद्रोहियों पर हमले करने के लिए जिम्मेदार है. साथ ही वह मिडिल ईस्ट को कंट्रोल करता है. यह कमांड इजरायल की रक्षा भी करता है. ऐसे में पाकिस्तान द्वारा उसी कमांड के प्रमुख को एक बड़ा सम्मान देना, कई सारे संकेत दे रहा है.

अमेरिकी कमांडर को पाकिस्‍तानी सेना ने दिया गार्ड ऑफ ऑनर

इतना ही नहीं जब जनरल कुरिल्ला के पाकिस्तान दौरे के दौरान राष्‍ट्रपति भवन पहुंचे तो  वहां उन्‍हें तीनों सेनाओं ने गार्ड ऑफ ऑनर भी दिया. इस दौरान वो न केवल पाकिस्तान के आर्मी चीफ फील्ड मार्शल आसिम मुनीर से मिले, बल्कि एक अहम सम्मेलन का भी हिस्सा बने जिसमें अमेरिका, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, ताजिकिस्तान और उज्बेकिस्तान के शीर्ष सैन्य अधिकारी शामिल थे.

पहले अमेरिकी हमले की निंदा की

दरअसल, हाल ही में जब अमेरिका ने ईरान पर हमला किया था तो पाकिस्तान ने ख़ुद को ईरान के साथ खड़ा दिखाकर अमेरिकी हमले का विरोध किया था और निंदा की थी, लेकिन अब 1 महीने बाद ही इसी पाकिस्तान ने अमेरिकी सेना की केंद्रीय कमांड के प्रमुख जनरल कुरिल्ला को अपने देश का दूसरा सर्वोच्च सम्मान दे दिया, जिसने ना सिर्फ ईरान पर हुए हमलों की कमान संभाली थी बल्कि ईरान पर हुए हमलों में योजना तैयार करने में भी अहम भूमिका निभाई थी.

पाकिस्तान क्यों दिखा रहा वफादारी?

पाकिस्तान का यह कदम ऐसे समय पर आया है जब पाकिस्तान एक ओर आर्थिक संकट की गिरफ्त में होने के साथ ही IMF की शर्तों के आगे झुका हुआ है, FATF की ग्रे लिस्ट से निकलने के बाद भी उसकी छवि पर सवाल बरकरार हैं. दरअसल, 2018 में ग्रे लिस्ट में डाले गए पाकिस्तान को 2022 में बाहर निकाला गया, मगर भारत की तरफ से FATF पर अब भी यह दबाव है कि पाकिस्तान आतंकी फंडिंग रोकने में विफल है. खासतौर पर पहलगाम आतंकी हमले के बाद माना जा रहा है कि पाकिस्तान फिर से FATF की ग्रे लिस्ट में पहुंच जाएगा.

बता दें कि अमेरिका न सिर्फ FATF का संस्थापक सदस्य है, बल्कि उसके मानकों और फैसलों पर सीधा असर भी डालता है. ऐसे में पाकिस्तान की ओर से अमेरिकी सैन्य प्रमुख को सार्वजनिक रूप से सम्मानित करना, कई कूटनीतिक संदेश देता है. यह सीधे तौर पर ग्रे लिस्ट से बचने की कोशिश है.

CENTCOM और पाकिस्तान की पुरानी साझेदारी को नया चेहरा

दरअसल, साल 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद भी CENTCOM क्षेत्र में प्रभावी बना हुआ है. ऐसे में सूत्रों का कहना है कि पाकिस्तान दोहरी भूमिका निभा रहा है. एक ओर वो चीन पर निर्भर हैं, वहीं दूसरी ओर पाकिस्तान सूक्ष्म संकेत दे रहा है कि वह अब पूरी तरह से चीन पर निर्भर नहीं है. जानकारों का कहना है कि पाकिस्तान की सेना CENTCOM से जुड़ाव को न केवल हथियार और ट्रेनिंग के लिए जरूरी मानती है, बल्कि इसे अपने ‘सम्मान और वैश्विक वैधता’ का भी स्रोत मानती है. और शायद इसी सोच के तहत जनरल कुरिल्ला को यह सम्मान मिला.

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