नीति आयोग ने टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता पर दिया जोर, कहा- रिसर्च संस्थानों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी संस्थाओं में बदलने की जरूरत

Aarti Kushwaha
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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NITI Aayog: नीति आयोग ने अहमदाबाद के साइंस सिटी में जीयूजेसीओएसटी द्वारा आयोजित ‘ईज ऑफ डूइंग रिसर्च एंड डेवलपमेंट’ पर पांचवीं परामर्श बैठक आयोजित की. जिसका उद्देश्य प्रक्रियागत बाधाओं को कम करने, ज्ञान संसाधनों तक पहुंच बढ़ाने, संस्थागत प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ाने, अनुवादात्मक अनुसंधान पर अधिक जोर देने और देश में आरएंडडी के लिए एक अधिक सक्षम वातावरण को बढ़ावा देने पर आम सहमति बनाना था.

इस दौरान आयोग के सदस्य डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा कि भारत के रिसर्च संस्थानों को वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी संस्थाओं में बदलने की तत्काल आवश्यकता है. इसके साथ ही उन्होंने उच्च-प्रभावी रिसर्च कल्चर को सक्षम बनाने के लिए संस्थागत बेंचमार्किंग, अनुपालन प्रक्रियाओं के सरलीकरण और अकादमिक-उद्योग संबंधों को मजबूत करने का आह्वान किया.

वीके सारस्‍वत ने टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता पर दिया जोर

वीके सारस्‍वत ने कार्यक्रम के दौरान इस बात पर जोर दिया कि रिसर्च लाइफसाइकल में टकराव को कम करना राष्ट्रीय वैज्ञानिक लक्ष्यों को आगे बढ़ाने और महत्वपूर्ण टेक्नोलॉजी क्षेत्रों में आत्मनिर्भरता प्राप्त करने के लिए महत्वपूर्ण है.

इसी बीच नीति आयोग के वरिष्ठ सलाहकार, प्रोफेसर विवेक कुमार सिंह ने भारत में अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देने के लिए संरचनात्मक सुधारों, चुस्त विनियमों और मजबूत संस्थागत फ्रेमवर्क की आवश्यकता पर प्रकाश डाला.

स्पेस साइंस आउटरीच प्रोग्राम कार्यक्रम की घोषणा

गुजरात में विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के सचिव, पी. भारती ने प्रधानमंत्री के विकसित भारत के दृष्टिकोण के अनुरूप एक मजबूत रिसर्च इकोसिस्टम के निर्माण के लिए राज्य की प्रतिबद्धता की पुष्टि की. इसी बीच एसएसी-इसरो के निदेशक, डॉ. नीलेश देसाई ने ‘नेशनल स्पेस डे’ के लिए 12-दिवसीय स्पेस साइंस आउटरीच प्रोग्राम कार्यक्रम की घोषणा की और एक सुव्यवस्थित रिसर्च एंड डेवलपमेंट वातावरण की आवश्यकता पर बल दिया.

इन मुद्दों पर किया गया विचार विमर्श

अपने मुख्य भाषण में, सीएसआईआर के पूर्व महानिदेशक, डॉ. आर.ए. माशेलकर ने रिसर्च एंड डेवलपमेंट परिदृश्य का आकलन किया, प्रमुख कमियों की पहचान की और प्रगति के लिए कार्यान्वयन योग्य रणनीतियां सुझाईं. इसके अलावा, दो दिवसीय परामर्श बैठक में आरएंडडी इकोसिस्टम को मजबूत करने, फंडिंग एवं रेगुलेटरी फ्रेमवर्क को बेहतर बनाने और ज्ञान संसाधनों तक पहुंच में सुधार जैसे प्रमुख विषयों पर व्यापक विचार-विमर्श किया गया.

रणनीतियों की खोज पर केंद्रित रहीं वार्ता

इस परामर्श बैठक के दौरान चर्चाएं मौजूदा संस्थागत फ्रेमवर्क और प्रक्रियाओं को समझने, कमियों की पहचान करने और उन्हें दूर करने की रणनीतियों की खोज पर केंद्रित रहीं. वहीं, प्रतिभागियों ने सुव्यवस्थित फंडिंग मैकेनिज्म, मजबूत रिसर्च इंफ्रास्ट्रक्चर और सरलीकृत नियामक प्रक्रियाओं सहित आधारभूत सक्षमताओं को सुदृढ़ करने की महत्वपूर्ण आवश्यकता पर जोर दिया.

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