2026 में भारतीय बाजार में FII की बड़ी वापसी संभव, मजबूत GDP और आय में सुधार से उम्मीद

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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मजबूत जीडीपी ग्रोथ और कॉरपोरेट आय में सुधार के चलते वर्ष 2026 में विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की भारतीय शेयर बाजार में जोरदार वापसी देखने को मिल सकती है. एनालिस्ट्स के अनुसार, दिसंबर में एफआईआई ने 22,130 करोड़ रुपये की बिकवाली की, जबकि पूरे वित्त वर्ष 2025 में उन्होंने 1,58,407 करोड़ रुपये के शेयर बेचे, जो अब तक की सबसे बड़ी एफआईआई बिकवाली मानी जा रही है. हालांकि, विश्लेषकों का मानना है कि देश का मजबूत आर्थिक दृष्टिकोण और आय में बढ़ती स्पष्टता आने वाले समय में एफआईआई की निकासी की रफ्तार को धीमा कर सकती है.

एफआईआई बिकवाली में नया रिकॉर्ड

जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के मुख्य निवेश रणनीतिकार डॉ. वीके विजयकुमार ने कहा, “वर्ष 2025 के अंत तक, भारत में विदेशी निवेशकों (एफआईआई) की बिकवाली एक नया रिकॉर्ड बनाने की राह पर है.” 2024 में, एफआईआई ने एक्सचेंजों के माध्यम से लगभग 1,21,210 करोड़ रुपए के शेयर बेचे. हालांकि, वर्ष के लिए शुद्ध एफआईआई प्रवाह सकारात्मक रहा क्योंकि उन्होंने प्राथमिक बाजार के माध्यम से 1,21,637 करोड़ रुपए का निवेश किया था, लेकिन 2025 के लिए शुद्ध बिक्री का आंकड़ा बहुत बड़ा है.

एफआईआई बिकवाली और रुपए की गिरावट

उन्होंने आगे कहा कि एफआईआई द्वारा लगातार बिकवाली ने इस वर्ष रुपए के तेज गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, और उन्होंने कहा कि मूलभूत कारकों में सुधार से 2026 में शुद्ध एफआईआई प्रवाह आकर्षित होने की संभावना है. विश्लेषकों ने कहा कि लगातार एफआईआई बिकवाली, उच्च व्यापार घाटे के साथ, 2025 में रुपए की गिरावट में महत्वपूर्ण योगदान दिया. दूसरी तरफ भारत में एफडीआई (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) लगातार बढ़ रहा है.

नेट FDI दोगुना हुआ

एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, अप्रैल से अक्टूबर की अवधि के दौरान भारत में नेट FDI करीब दोगुना बढ़कर 6.2 बिलियन डॉलर तक पहुंच गई है, जबकि पिछले वर्ष इसी अवधि में यह 3.3 बिलियन डॉलर थी. वहीं, एमके ग्लोबल फाइनेंशियल सर्विसेज की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि रुपये में कमजोरी विदेशी निवेशकों के लिए चिंता का विषय बनी हुई है और बाजार में बेहतर रिटर्न तभी संभव है, जब मुद्रा 1–2 महीने तक स्थिर बनी रहे. रिपोर्ट के अनुसार, विदेशी निवेशक फिलहाल लार्ज-कैप शेयरों को प्राथमिकता दे रहे हैं और फाइनेंशियल सेक्टर में उनका रुझान ओवरवेट बना हुआ है.

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