भुवनेश्वर: भारतीयों को स्वतंत्रता को लेकर आत्मसंतुष्ट नहीं होना चाहिए. स्वतंत्रता को कायम रखने के लिए उन्हें कड़ी मेहनत और त्याग करना होगा. ये बातें राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) सर संघचालक मोहन भागवत ने भुवनेश्वर स्थित आरएसएस कार्यालय में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर आयोजित एक सभा को संबोधित करते हुए कही. उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत का पूरी दुनिया के प्रति भी कर्तव्य है, जो अनगिनत समस्याओं से जूझ रही है और 2000 साल से उनसे उबर नहीं पा रही है.
हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान देकर भारत को स्वतंत्रता दिलाई
मोहन भागवत ने कहा, ‘‘हमारे पूर्वजों ने सर्वोच्च बलिदान देकर भारत को स्वतंत्रता दिलाई. हमें भी इसे कायम रखने, देश को आत्मनिर्भर बनाने और विवादों में उलझी दुनिया का मार्गदर्शन करने के लिए ‘विश्व गुरु’ के रूप में उभरने के लिए उतनी ही मेहनत करनी होगी.’’ भागवत ने कहा कि भारतीयों को उसी तरह कड़ी मेहनत करनी चाहिए, जो उनके पूर्वजों ने स्वतंत्रता दिलाने के लिए तीन पीढ़ियों तक की.
भारत को दुनिया को मार्ग भी दिखाना होगा
संघ प्रमुख ने कहा, ‘‘भारत के धर्म और ज्ञान के आधार पर यह होना चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि भारत को दुनिया को मार्ग भी दिखाना होगा. उन्होंने कहा कि भारत विश्व में शांति और प्रसन्नता लाता है और दूसरों के साथ अपने धर्म को साझा करता है.
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा, ‘‘हमें आज़ादी इसलिए मिली ताकि हमारे देश में हर कोई सुख, साहस, सुरक्षा, शांति और सम्मान प्राप्त कर सके. हालांकि, दुनिया लड़खड़ा रही है. यह हमारा कर्तव्य है कि हम दुनिया को समाधान प्रदान करें और धार्मिक सिद्धातों पर आधारित अपने दृष्टिकोण के आधार पर सुख और शांति से भरी एक नई दुनिया का निर्माण करें.’’ उन्होंने कहा कि दुनिया भर में पर्यावरणीय मुद्दे और झगड़े हैं. ऐसी स्थिति में, भारत का कर्तव्य है कि वह दूसरों का मार्गदर्शन करे, समस्याओं का समाधान करे और ‘विश्व गुरु’ के रूप में दुनिया को शांतिपूर्ण और समृद्ध बनाए.