2029 तक नई ऊँचाइयों पर पहुंचेगा भारत का विज्ञापन बाजार, डिजिटल एड खर्च बनेगा सबसे बड़ा योगदानकर्ता

Shivam
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Reporter The Printlines (Part of Bharat Express News Network)
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भारत का विज्ञापन बाजार 2024 में 16-18 अरब डॉलर के स्तर पर पहुंच चुका है और वर्तमान में इसका GDP में योगदान करीब 0.4% है. आने वाले वर्षों में यह बाजार 10-15% की कंपाउंडेड एनुअल ग्रोथ रेट से बढ़ने की उम्मीद है और 2029 तक इसका योगदान बढ़कर 0.5% तक हो सकता है. मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह जानकारी सामने आई. बेन एंड कंपनी की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के कुल विज्ञापन खर्च में डिजिटल विज्ञापन की हिस्सेदारी 50-60% है.

2029 तक 17-19 अरब डॉलर तक पहुंचेगा भारत का डिजिटल विज्ञापन बाजार

2029 तक इसके 15% की सीएजीआर से बढ़ते हुए 17-19 अरब डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है. रिपोर्ट में कहा गया है कि इस तेजी के पीछे बढ़ती निजी खपत, डिजिटल कंटेंट की बढ़ती डिमांड, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स का विस्तार और हाई-स्पीड इंटरनेट की पहुंच जैसे कारक मुख्य भूमिका निभा रहे हैं. इसके साथ ही लघु एवं मध्यम उद्यम और डायरेक्ट-टू-कंज्यूमर ब्रांड भी भारत की डिजिटल विज्ञापन अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं.

एआई और मोबाइल खपत से बदल रहा बाजार

2020 में जहां इनका योगदान 35% था, वहीं 2024 में यह बढ़कर 37% हो गया है और 2029 तक 40-42% तक पहुंचने की संभावना है. बेन एंड कंपनी के पार्टनर प्रभाव कश्यप ने कहा, मोबाइल आधारित उपभोग बढ़ना, वीडियो फॉर्मैट का तेजी से बढ़ता हुआ विकास और विज्ञापन प्रक्रिया के हर चरण में एआई का एकीकरण, ब्रांडों के उपभोक्ताओं से जुड़ने के तरीके को नया रूप दे रहा है. रिपोर्ट के अनुसार, वैश्विक विज्ञापन बाजार भी बड़े बदलाव के दौर से गुजर रहा है.

2024 में 1 ट्रिलियन डॉलर का वैश्विक एड मार्केट

अनुमान है कि 2029 तक डिजिटल विज्ञापन की हिस्सेदारी कुल विज्ञापन खर्च में बढ़कर 80-85% तक पहुंच जाएगी. रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में वैश्विक विज्ञापन बाजार का आकार करीब 1 ट्रिलियन डॉलर है, जो 2029 तक बढ़कर वैश्विक जीडीपी के 1% तक पहुंच सकता है.

यह वृद्धि कई विकसित और उभरती अर्थव्यवस्थाओं की आर्थिक प्रगति को भी पीछे छोड़ देगी. साथ ही, उपभोक्ताओं के व्यवहार में भी तेजी से बदलाव देखने को मिल रहा है. लोग अब पहले से ज्यादा समय डिजिटल उपकरणों और प्लेटफॉर्म्स पर बिता रहे हैं. उदाहरण के तौर पर, भारत में 2023 में प्रति व्यक्ति औसतन 4.8 घंटे मोबाइल पर बिताए गए, जो 2019 में 3.7 घंटे की तुलना में काफी ज्यादा है.

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