वस्तु एवं सेवा कर (GST) में हालिया सुधारों से न केवल दवाइयों की कीमतों में कमी आएगी, बल्कि इससे देश के फार्मास्युटिकल बाजार को भी महत्वपूर्ण बढ़ावा मिलने की संभावना है. एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगस्त 2025 में फार्मा सेक्टर ने 8.7% की मूल्य वृद्धि दर्ज की है. विशेषज्ञों का मानना है कि आगामी महीनों में इस क्षेत्र में मूल्य निर्धारण, उपलब्धता और रोगियों की पहुंच के पैमानों पर बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं. GST दरों में कटौती से खासतौर पर आवश्यक दवाओं की कीमतें घटेंगी,
जिससे उपभोक्ताओं को सीधा लाभ मिलेगा और देशभर में स्वास्थ्य सेवाओं की सुलभता और सामर्थ्य दोनों में सुधार होगा. ईवाई इंडिया के टैक्स पार्टनर सुरेश नायर ने कहा, “फार्मा क्षेत्र में जीएसटी परिषद द्वारा किया गया कर सुधार स्वास्थ्य सेवा के लिए परिवर्तनकारी है.” नायर ने कहा, “सभी दवाओं पर जीएसटी को 12 प्रतिशत से घटाकर 5 प्रतिशत करने और 36 महत्वपूर्ण जीवन रक्षक दवाओं पर शून्य दर देने से, रोगियों के खर्च में काफी कमी आएगी और आवश्यक उपचारों तक उनकी पहुंच में सुधार होगा.”
इस महीने की शुरुआत में जीएसटी परिषद की 56वीं बैठक में सरकार ने अप्रत्यक्ष कर ढांचे को युक्तिसंगत बनाते हुए मौजूदा चार स्लैब को घटाकर दो (5% और 185%) कर दिया है, जबकि 125% और 285% की दरें समाप्त कर दी गई हैं. सरकार ने 33 केंसर और दुर्लभ दवाइयों पर जीएसटी को 125% से घटाकर जीरो कर दिया गया है. इस कदम से मरीजों पर लागत का बोझ कम होने और उच्च मूल्य वाली चिकित्साओं, विशेषकर ऑन्कोलॉजी और दुर्लभ रोगों के इलाज की मांग में वृद्धि होने की उम्मीद है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि सनोफी, नोवार्टिस, जॉनसन एंड जॉनसन, टेकेडा, जीएसके, एमजेन, बायर और बोह्रिंजर इंगेलहाइम की कैंसर-रोधी और दुर्लभ रोगों की चिकित्सा भी सस्ती हो जाएगी, जिससे मरीजों के लिए उनकी पहुंच में सुधार होगा. जीएसटी दरों में बदलाव 22 सितंबर से लागू होंगे. इसके साथ, उद्योग द्वारा मूल्य निर्धारण रणनीतियों को पुनर्गणित करने, पहुंच कार्यक्रमों का विस्तार करने और नए बाजार सेगमेंट की खोज करने की उम्मीद है.